ग्वालियर। बैंक कर्मचारी बनकर डेबिट- क्रेडिट कार्ड का नंबर, ओटीपी पूछकर ठगी के सैकडों मामले सामने आने के बाद लोग सतर्क हुए, तो फ्रॉड करने वालों ने नया तरीका निकाल लिया है. कोरोना संक्रमण काल में इन दिनों लगभग हर मोबाइल यूजर अपने तमाम कामों को ऑनलाइन ही निपटा रहे हैं. ऐसे में ऑनलाइन फ्रॉड के मामले भी बढ़ रहे हैं. साइबर पुलिस ने एक जरूरी अलर्ट लोगों के लिए जारी किया है. इस अलर्ट के चलते लोग खुद की महत्वपूर्ण एवं गोपनीय जानकारी के अलावा रुपए की ठगी से भी बच सकते हैं.
साइबर पुलिस जारी किया अलर्ट-
राज्य साइबर पुलिस के अनुसार कोरोना संक्रमण के समय में लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग ज्यादा कर रहे हैं, साथ ही आरोग्य सेतु एप का उपयोग भी बढ़ा है, ऐसे में कुछ जालसाज ठग इन एप्लीकेशन को व्हाट्सएप, फेसबुक एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए डाउनलोड करने के नाम पर एक लिंक भेज रहे हैं, जिस पर क्लिक करते ही, रुपए की चपत लग सकती है.
फिशिंग लिंक के जरिए हो रही ठगी-
इस लिंक को फिशिंग लिंक कहा जाता है. किसी में एप्लीकेशन के साथ बोनस पॉइंट जीतने की जानकारी होती है, तो किसी में ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी का नाम लिखकर इनामी कूपन जीतने का लालच दिया जाता है. इस तरह के अलग-अलग लुभावने ऑफर वाली ये लिंक ठगी का नया जरिया बन गई है. लालच में आकर जैसे ही मोबाइल यूजर दी गई लिंक पर क्लिक करता है, वैसे ही पूरा डेटा हैकर के पास पहुंच जाता है. हैकर इस डेटा का उपयोग करता है और इस डेटा के आधार पर बैंक फ्रॉड करता है. इस तरह की घटनाएं लगातार शहर में बढ़ रही हैं.
हैकर कर रहे आरोग्य सेतु एप का इस्तेमाल-
साइबर सेल के एसपी सुधीर अग्रवाल का कहना है कि, ठगों ने वर्तमान समय में सबसे ज्यादा उपयोगी आरोग्य सेतु एप को लेकर भी फिशिंग लिंक तैयार कर ली है. जिसके जरिए ठगी एवं गोपनीय जानकारी चुराने की आशंका बढ़ गई है. ऐसे में लोगों को बेहद सजग होना जरूरी है. अन्य किसी सोर्स या बिना पहचान के व्यक्ति द्वारा भेजे गए लिंक या SMS के जरिए किसी भी एप्लीकेशन को मोबाइल में डाउनलोड नहीं करना चाहिए. ये नुकसान पहुंचा सकती है, गौरतलब है कि, फिशिंग लिंक के मामले पुलिस के लिए ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल होता है, क्योंकि फिशिंग लिंक भेजने वाला आरोपी अलग- अलग आईपी ऐड्रेस के माध्यम से लिंक भेजता है. जिसके कारण आरोपी तक पहुंचना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता है. साइबर पुलिस के एसपी के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस साल कोरोना महामारी के समय में ज्यादा से ज्यादा माध्यमों के जरिए फिशिंग लिंक को आम लोगों में सर्कुलेट किया जा रहा है. जिनमें व्हाट्सएप, टेक्स्ट एसएमएस के जरिए इस प्रकार की लिंक भेजी जा रही हैं. जब यूजर इन लिंक को ओपन करता है, तो उसकी सारी जानकारी लीक हो जाती है. जिसके बाद उसके साथ बैंक फ्रॉड जैसे मामले घटित होते हैं.