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ग्वालियर: कृषि संबंधी तीनों कानून को रद्द कराने 4 राज्यों के किसान ग्वालियर से दिल्ली रवाना - किसान नेता मेघा पाटकर

किसान यात्रा पर निकले किसान बुधवार को ग्वालियर पहुंचे. इस यात्रा में किसान नेता मेघा पाटकर भी मौजूद रहीं. ग्वालियर पहुंच कर सभी रानी लक्ष्मी बाई समाधि स्थल पहुंचे और पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया. इस दौरान किसान नेता मेघा पाटकर ने कहा कि किसान संबंधी तीनों कानून किसानों के लिए घाटे का सौदा हैं.

Farmers of four states left for Delhi from Gwalior
किसान ग्वालियर से दिल्ली के लिए हुए रवाना

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Published : Nov 25, 2020, 6:02 PM IST

ग्वालियर। कृषि संबंधी तीन कानून और बिजली संशोधन बिल 2020 को रद्द कराने के लिए दिल्ली में किसान और कई दलों के लोग इकट्ठा होंगे. इसके लिए देश भर से अलग-अलग जत्थे निकल रहे हैं. इसी कड़ी में चार राज्यों के जत्थे बुधवार को ग्वालियर पहुंचे हैं. इनमें महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और मध्य प्रदेश के किसान शामिल हैं. इन किसानों के साथ मेघा पाटकर भी मौजूद हैं. वे अपने साथ चार महीने का राशन-पानी लेकर चल रहे हैं. उनकी जिद है कि जब तक किसान संबंधी तीन कानून नहीं हटता तब तक वापस नहीं लौटेंगे.

किसान ग्वालियर से दिल्ली के लिए हुए रवाना

जानकारी के मुताबिक 200 से ज्यादा किसानों का जत्था 22 अक्टूबर को कर्नाटक से किसान यात्रा में निकला हुआ है. ये सभी लगातार दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 26 और 27 नवंबर को दिल्ली पहुंचने का संकल्प लिया है. इससे पहले बुधवार को किसान रानी लक्ष्मी बाई समाधि स्थल पहुंचे औप पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया. यहां से अपने संकल्प को आगे बढ़ाने का निर्णय लेते हुए सभी दिल्ली की ओर रवाना हुए.

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समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं

इस दौरान किसान नेता मेघा पाटकर ने कहा कि केंद्र सरकार ने कानून नहीं बल्कि संविधान को कुचलना चाहा है. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने का काम किया है, जो किसान संबंधी कानून थोपे गए हैं वह इसका प्रतीक हैं. किसानों के साथ खिलवाड़ हो रहा है. क्योंकि घाटे का सौदा होती खेती आसानी से अधिग्रहण कर ली जाती है. अगर निजी मंडियां चालू होंगी तो घाटे का सौदा और घाटे का होता चला जाएगा. क्योंकि जो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए, वह समर्थन मूल्य निजी कंपनियां कभी नहीं देंगी. केंद्र सरकार ने किसी भी कानून में समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं किया है.

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