गणेश चतुर्थी नजदीक है जिसके लिए जोर-शोर से शहर में तैयारियां कि जा रही हैं, इसलिए इस बार भक्तगण अपने घरों में इको फ्रेंडली गणेश जी लाना चाहते हैं जो मिट्टी से बनाए जाते हैं और आसानी से पानी में घुल जाते हैं. इससे किसी भी तरह से पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचती.
गणेश चतुर्थी की तैयारियां पूरी वहीं शहर के युवा शहरवासियों को जागरुक करने के लिए मिट्टी और गोबर से इको फ्रेंडली गणेश जी बना रहे हैं, जिसमें गणेश जी के अलग-अलग रूपों को 100 से अधिक कलाकृतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया जा रहा है.गणेश जी की प्रतिमा बनाने वाली युवती का कहना है कि जिस तरीके केमिकल और पीओपी से बनी गणेश प्रतिमाओं के उपयोग करने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है और पीओपी से बनी गणेश प्रतिमाओं उनका विसर्जन करने पर वह पानी में पूरी तरीके से नहीं धुल पाती जिसमें कैमिकल होने की वजह से पानी दूषित हो रहा हैं. जबकि मिट्टी या गोबर के गणेश जी आसानी से विसर्जित किए जा सकते हैं जिससे किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचती. वहीं पर्यावरण प्रेमी उमेश मिश्रा का कहना है कि इस बार लोगों से अपील है कि वह घर में मिट्टी या गोबर के ही गणेश जी स्थापित करें। ताकि आस्था के हमारे पर्यावरण को भी बचाया जा सके. पीओपी से बने गणेश जी हमारे पर्यावरण के लिए और विसर्जन के दौरान जल में रहने वाले जीवों के लिए बहुत खतरनाक होते है, क्योंकि हर साल लाखों की संख्या में विसर्जन के दौरान जल में रहने वाले जीव इनके कैमिकल की वजह से मर जाते हैं इसलिए लोग पीओपी के गणेशजी ना खरीद कर मिट्टी और गोबर से बनी गणेश जी घर में स्थापित करें. पिछले कुछ सालों से पीओपी की मूर्तियां बनाने के चरण में तेजी आई है यही कारण है कि स्थानीय प्रशासन भी इस तरह की मूर्तियों को बनाने की भी दिशा निर्देश जारी कर चुका है.