भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शंकर जयंती के अवसर पर आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के न्यासियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चर्चा की. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कोविड-19 चुनौतियां और एकात्म बोध विषय पर महामंडलेश्वर और संस्था प्रमुखों से चर्चा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि, यह संकट हमें संदेश दे रहा है कि, नई जीवन पद्धति अपनानी पड़ेगी. नए ढंग से जीना पड़ेगा और यह सवाल भी खड़ा हो रहा है कि. हमारा विकास किस तरह हो. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, कोरोना से बचाव के लिए सरकार लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा बांट रही है. सरकार के इस प्रयास का आध्यात्मिक गुरुओं ने स्वागत किया है.
कोरोना संकट पर आध्यात्मिक गुरुओं से CM शिवराज ने की चर्चा, बोले- अपनानी होगी नई जीवन पद्धति
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शंकर जयंती के अवसर पर आध्यात्मिक गुरुओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चर्चा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि, कोरोना से बचाव के लिए सरकार लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा बांट रही है. सरकार के इस प्रयास का आध्यात्मिक गुरुओं ने स्वागत किया है.
हरिद्वार के स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा की, प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भारत का योग एक महत्वपूर्ण माध्यम है इसी तरह अन्य सांस्कृतिक परंपराएं और आयुर्वेद का उपयोग इस संकट को कम करने और समाप्त करने में सहयोगी है. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि, आयुर्वेद का प्रचार हो रहा है. यह इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में उपयोगी है. इसी तरह मनुष्य की मनोदशा ठीक रहती है तो यह इम्यून सिस्टम और अच्छा रहता है. उन्होंने कहा कि समय में बहुत बदलाव आने वाला है, लेकिन आपत्ति की स्थिति में भी ईश्वर की कृपा होती है. स्वामी संबित सोम गिरी ने कहा कि, विश्व को शंकराचार्य जी का संदेश देना जरूरी है.
सीएम शिवराज का कहना है कि, आज सारा विश्व विज्ञान धर्म और आध्यात्म की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है. उन्होंने कहा कि, कोविड-19 चुनौती है, लेकिन इसका समाधान भी आसान है हम सभी को एक आत्मबोध को लेकर संपन्न होना होगा. धरती हमारी माता है इस बोध से जुड़कर हम अपनी शक्ति पहचाने. स्वामी परमात्मा नंद सरस्वती ने कहा कि, अति आत्मविश्वास हितकारी नहीं होता बल्कि कष्टकारी होता है. कोरोना एक मनोवैज्ञानिक कष्ट है मानसिक स्वास्थ्य ठीक ना होने से यह बढ़ता है. व्यक्ति जितना अधिक उपभोग करेगा यह कल्याणकारी नहीं बल्कि कष्ट का कारण बनेगा. व्यक्ति को कंजूमर से कंट्रीब्यूटर बनना है.