ग्वालियर। कोरोना संक्रमण ने पूरे विश्व में हाहाकार मचा दिया है, लेकिन अब वैक्सीन आने के बाद लोगों को उम्मीद है कि आने वाला समय फिर से सामान्य हो जायेगा. वहीं इस कोरोना काल में नगर निगम में डिप्टी कमिश्नर के पद पर पदस्थ अतिवल सिंह यादव ने अपनी जान को दांव पर लगा दिया, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता. उन्होंने अपने सहयोगियों की मदद से शवों का दाह संस्कार कराया. अतिवल यादव और उनके सहयोगी 400 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं, जो लगातार जारी है.
साल 2020 के मार्च महीने से ग्वालियर में कोरोना संक्रमण ने दस्तक दे दी थी. यहां कोरोना का पहला मरीज भी पाया गया था. उसके बाद जिले में कोरोना तेजी से रफ्तार पकड़ने लगा. हर रोज संक्रमण से 5 से 10 लोगों की मौत होने लगी, जिसके बाद डेड बॉडी का अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो रहा था. ऐसी परिस्थिति में अतिवल सिंह यादव ने जिम्मेदारी संभाली. उन्होंने सहयोगियों की मदद से 400 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कराया.
अतिवल सिंह को विद्युत शवदाह गृह का बनाया गया इंचार्ज
मार्च महीने के बाद लगातार जिले में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा बढ़ने लगा. इसके साथ-साथ मौत का आंकड़ा भी बढ़ता चला गया. रोज 4 से 5 मौतें संक्रमण के कारण होने लगी. इसके बाद जिला प्रशासन ने निर्णय लिया कि लक्ष्मीगंज स्थित विद्युत शवदाह गृह को चालू किया जाए, ताकि इन शवों का अंतिम संस्कार आसानी से हो सकें. इसी के चलते विद्युत शवदाह गृह का इंचार्ज अतिवल सिंह को बनाया गया.
अतिवल ने शवों का कराया अंतिम संस्कार लॉकडाउन में विद्युत शवदाह गृह को चालू करना बड़ी चुनौतीडिप्टी कमिश्नर अतिवल सिंह यादव को विद्युत शवदाह गृह का नोडल ऑफिसर बनाया गया, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती पिछले कई सालों से बंद पड़ी विद्युत शवदाह गृह को चालू करना था. उस दौरान लॉकडाउन जारी था, जिसकी वजह से व्यवस्थाएं नहीं हो पा रही थी. जहां बड़ी मशक्कत के बाद अतिवल सिंह यादव ने इन विद्युत शवदाह गृह को चालू कराया.
रात के 12 बजे तक शवों का किया अंतिम संस्कारअतिवल सिंह यादव और उनकी टीम को कई शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए रात भर जागना पड़ा. इस दौरान अतिवल के साथ दो अन्य सहकर्मी रहते थे.
जरूरत पड़ने पर खुद भी खरीदते थे सामानविद्युत शवदाह गृह में शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ियों की जरूरत थी, जिसकी कीमत 600 रुपए होती है. जिन मृतकों के परिजनों ने यह खर्च उठाने से इनकार किया था, उनके लिए यह अफसर अपने पैसे से सामान खरीदते थे, क्योंकि मुक्तिधाम में शवदाह गृह की मशीन को 600 डिग्री तापमान पर 24 घंटे चालू रखा जाता है. अगर इसे बंद किया गया, तो बाद में चालू करने में 1 से 2 दिन लग जाते हैं.
खुद हो गए थे कोरोना संक्रमितअतिवल सिंह यादव के मुताबिक, वह शवों का अंतिम संस्कार करने के दौरान एक बार कोरोना संक्रांति हो गए थे, लेकिन उन्होंने और उनकी टीम ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी. उनका सरकारी ड्यूटी से ज्यादा एक सामाजिक दायित्व निभाना बेहद अहम था. यही वजह रही कि वह कोरोना से ठीक होने के बाद फिर से शवों का अंतिम संस्कार करने में जुट गए.
बेटे की शादी से सीधे मुक्तिधाम पहुंचे अतिवलअतिवल सिंह यादव का परिवार सिटी सेंटर के पास रहता है. वह खुद एक सरकारी आवास में रहते हैं. बेटे के शादी के जिन दिन बहू विदा होकर घर आई. उसी सुबह यादव को खबर मिली कि आज तीन अंतिम संस्कार करने है. ऐसे में वे सीधे विवाह स्थल से लक्ष्मीगंज पहुंच गए. ड्यूटी के चलते कई दिन तक इनका परिवार से मिलना नहीं हो पाया. ऐसे में केवल मोबाइल से ही परिवार से जुड़े रहे.
विद्युत विभाग के सुपरवाइजर और सफाईकर्मियों का रहा अहम योगदानअतिवल सिंह यादव के अलावा ऐसे कई लोग भी है, जिन्होंने इस कोरोना संक्रमण में एक मिसाल पेश की. शहर में जब से कोरोना वायरस शुरू हुआ है, तब से इन अधिकारियों के साथ नगर निगम के विद्युत विभाग के सुपरवाइजर नरेंद्र गौड़, सफाईकर्मी सोनू राज्यपाल और लक्ष्मीनारायण भी इनके साथ दिन रात जुड़े रहे.