ग्वालियर। 1 नवंबर को देश का दिल यानी मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस है. इसी दिन मध्य प्रदेश का गठन हुआ था. साल 1956 में भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी घोषित किया गया था, लेकिन मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल बनाने से पहले सबसे पहला नाम ग्वालियर का था. ग्वालियर मध्य प्रदेश की राजधानी बनने की रेस में सबसे आगे था और इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि ग्वालियर सर्व संपन्न और बड़ी रियासत ग्वालियर में ही थी. इसके साथ ही ग्वालियर का वैभवशाली इतिहास होने के कारण मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए ग्वालियर का नाम तय किया गया, लेकिन जब ग्वालियर का नाम सामने आया तो इसका विरोध शुरू हो गया. ग्वालियर को क्यों राजधानी नहीं बनाया गया, इसके पीछे क्या कारण है. आइए समझते हैं... (Gwalior not made capital of MP) (67th foundation day of madhya pradesh) (know why gwalior not made capital of mp)
पहले ग्वालियर को बनाया जा रहा था एमपी की राजधानी: राज्य गठन आयोग द्वारा 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन किया गया. जिसके बाद ग्वालियर अंचल की तमाम बड़े नेताओं ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलकर ग्वालियर को ही मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने की मांग रखी. इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि ग्वालियर में ही मध्यप्रदेश के सभी विभागों के प्रमुख दफ्तर मौजूद थे. इसके साथ ही ग्वालियर का वैभवशाली इतिहास और सिंधिया राजघराने की सबसे बड़ी रियासत यहीं थी, लेकिन जैसे ही ग्वालियर का नाम सामने आया तो इसका विरोध शुरू होने लगा. क्योंकि ग्वालियर का नाम बापू महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ा था. उस समय ग्वालियर में राष्ट्र विरोधी गतिविधियां लगातार बढ़ रही थी. उसी दौरान नाथूराम गोडसे ने बापू महात्मा गांधी की जिस बंदूक से हत्या की थी, वह ग्वालियर से ही खरीदी गई थी. इसलिए केंद्र सरकार नहीं चाहती थी कि देश का हृदय स्थल ग्वालियर में हो, राष्ट्र विरोधी गतिविधियां बढ़ी इसलिए भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने का फैसला लिया गया.
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