गुना। आजादी के 78 वर्षों के बाद भी बंधुआ मजदूरों की परंपरा खत्म नहीं हो पा रही है. भले ही साल 1976 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कानून पास कराकर बंधुआ मजदूरों के हितों का संरक्षण करने की तमाम कोशिशें कीं, लेकिन आज भी बंधुआ मजदूरी के मामले लगातार सामने आते रहते हैं. ताजा मामला बमौरी ब्लॉक का है, जहां कुछ मजदूर दम्पत्ति गुरुवार को जिला मुख्यालय पर पहुंचे और एसडीएम अंकिता जैन को आप-बीती सुनाई.
उधार ली गई रकम दोगुनी
मजदूरों में शामिल रामस्वरूप सहरिया और उसकी पत्नि ने बताया कि उन्होंने विशनवाड़ा के सोनू धाकड़ से तीन साल पहले 20 हजार रुपए उधार लिए थे. तब से वह सोनू के खेतों में मजदूरी का काम कर रहे हैं. कहीं आने-जाने के लिए छुट्टी मांगने पर मना कर दिया जाता है. मजदूरी के बाद भी उधार ली गई रकम दोगुनी मांगी जा रही है.
मालिकों के शोषण से परेशान मजदूर
ऐसा ही दर्द पारोंदा के धनराज, मन्नू, जैतपुरा के बुद्धा सहरिया और ढीमरपुरा के पप्पू सहरिया का भी है. इन सभी ने अपने-अपने मालिकों से 20, 30 या 40 हजार रुपए उधार लिए और लंबे समय तक मजदूरी करने के बाद भी रकम चुकता नहीं हो पा रही है. उल्टा उधार ली गई राशि दोगुनी हो गई है.