डिंडौरी। एक तरफ केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया, कैशलेस इकॉनमी जैसी बातें करती है, तो वहीं दूसरी तरफ कई इलाके ऐसे हैं, जहां मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी की बहुत ज्यादा समस्या है. ये समस्या ट्राइबल इलाकों में और भी गंभीर हो जाती है. प्रदेश में डिंडौरी जिले का बैगा जनजाति बाहुल्य क्षेत्र आजादी के बाद से ही इस समस्या का दंश झेल रहा है. यहां देश 5G कनेक्टिविटी की तरफ कदम बढ़ा रहा है, वहीं इस पूरे क्षेत्र में मोबाइल टॉवर तक नहीं है. जिले की ये हालत डिजिटल इंडिया के सपने पर सवालिया निशान लगा देती है.
आजादी के 73 साल बाद भी मोबाइल नेटवर्क से नहीं जुड़ पाए बैगा गांव, सरकारी योजनाएं पड़ीं ठप - मंत्री ओमकार सिंह मरकाम
डिंडौरी के बैगा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी की भारी समस्या है, जिसके चलते आदिवासियों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
बता दें कि जिले के बजाग जनपद क्षेत्र चांड़ा समेत कई गांव ऐसे हैं, जहां मोबाइल टॉवरों की कमी है. जिसकी वजह से पर्याप्त कनेक्टिविटी नहीं हो पाती. ऐसे में आदिवासी समाज सरकार की कई योजनाओं से वंचित रह जाता है. विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर आए कमलनाथ सरकार में मंत्री ओमकार मरकाम ने इस हालत का जिम्मेदार सीधे तौर पर केंद्र को ठहराया.
प्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार मरकाम ने कहा कि उन्होंने शपथ लेने के तुरंत बाद ही केंद्र सरकार को दो बार मोबाइल टॉवर और इलाके में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए पत्र लिखा, लेकिन केंद्र से कोई मदद नहीं मिली. उन्होंने कहा कि ये विषय केंद्र का है, राज्य के पास ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कि वे मोबाइल टॉवर लगवा सकें. ये जरूर है कि पूर्व में जब कांग्रेस सरकार थी, तब आईएपी योजना के तहत जिलों में इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने का राज्य के पास अधिकार था, लेकिन मोदी सरकार के बनते ही ये योजना बंद कर दी गई. मंत्री मरकाम ने कहा कि वे जल्द ही सीएम कमलनाथ से इस बारे में बात करेंगे और केंद्र से मांग करेंगे कि समस्या का समाधान जल्द से जल्द करें.