धार। हिंदी दिवस को लेकर विशेष चर्चा करते हुए हिंदी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि अपने विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन हिंदी ही है, हिंदी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने बताया कि पहले लोग अंग्रेजी भाषा की ओर ज्यादा आकर्षित होते थे पर समय के साथ-साथ लोगों ने हिंदी का महत्व भी समझा और इसके लिए उन्होंने श्रेया आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी और रामचंद्र शुक्ल को दिया.
अपने विचारों को व्यक्त करने का सबसे सुलभ साधन है हिंदी:देवदत्त बर्वे
14 सितंबर की तारीख का भारत में एक खास महत्व है. इस दिन संविधान सभा ने 1949 को एक मत से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी. और इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है.
उन्होंने ने बताया कि आज के आधुनिक युग में लोग जरूर अंग्रेजी भाषा की ओर आकर्षित होते हैं, वहीं कुछ लोगों का मानना हैं कि जो अंग्रेजी में बातचीत करता है वो ज्यादा ज्ञानी, ज्यादा प्रभावशाली होता है, परंतु हिंदी भाषा की भी अपनी मर्यादा है और हिंदी भाषा को जानने वाले लोग भी प्रभावशील रहे हैं, इसलिए आधुनिक युग में जितनी आवश्यकता अंग्रेजी भाषा की है उससे कहीं ज्यादा आवश्यकता हिंदी भाषा की भी है
ईटीवी भारत से चर्चा के दौरान अंत में हिंदी व्याख्याता देवदत्त बर्वे ने कहा कि हर भारतीय को हिंदी का ज्ञान होना आवश्यक हैं. आज के इस आधुनिक युग में हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसे बड़ी आसानी से सीखा और पढ़ा जा सकता है और इसी भाषा के माध्यम से एक दूसरे से बड़ी ही आसानी से विचारों को व्यक्त किया जाता है