दमोह। जिला मुख्यालय के पास एक ऐसा कुआं मौजूद है जिसमें 12 दरवाजे हैं और इसी कारण इस इलाके को बारहद्वारी कहा जाता है. इतिहासकार इस कुएं का निर्माणकाल अंग्रेजी शासन से भी पहले का मानते हैं, लेकिन इतिहास को संजोए हुए ये कुआं अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है और जिला प्रशासन आंखों पर पट्टी बांधे हुए है.
दुर्दशा पर आंसू बहा रहा प्रशासन की उपेक्षा का शिकार 12 दरवाजों वाला ऐतिहासिक कुआं - पानी
जिला मुख्यालय के पास स्थित 12 दरवाजे वाला कुआं नगर पालिका प्रशासन की अनदेखी की वजह से उपेक्षा का शिकार हो रहा है.
नगर के मध्य स्थित घंटाघर के समीप मौजूद यह स्थान स्थानीय बोलचाल की भाषा में बाराद्वारी कहा जाता है. 12 दरवाजों की मौजूदगी से यह कुआं अपनी प्राचीनता की कहानी खुद बयां करता है, लेकिन आसपास के दुकानदारों एवं अतिक्रमणकारियों के कारण यह अपना स्वरूप खोता जा रहा है. कुएं में पानी भी है, लेकिन ये पानी पीना तो छोड़िये किसी भी काम नहीं आ सकता. पूरा कुआं कूड़े-कचरे और काई से भरा पड़ा है.
इस कुएं के एक हिस्से में रोमन भाषा में एक शिलालेख लगा हुआ है. स्थानीय दुकानदार की मानें तो यह कुआं करीब 300 साल पुराना है, जो अपनी पहचान खोता जा रहा है. कुछ वक्त पहले नगर पालिका प्रशासन द्वारा कुएं की मरम्मत का कार्य कर इसे संरक्षित करने का प्रयास किया गया, लेकिन लगातार कचरा डाले जाने के कारण कुएं की दशा जैसी की तैसी बनी हुई है.