दमोह। मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. हर दिन सैकड़ों लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं, लेकिन हर शहर, हर जिले में प्रशासन पर मौत के आंकड़े छिपाने के आरोप लग रहे हैं. ऐसा ही हाल प्रदेश के दमोह का भी है. दमोह में पिछले एक हफ्ते में 10 मरीजों की मौत संक्रमण से होना बताया जा रहा है, लेकिन श्मशान घाट में हर दिन कोविड गाइड लाइन से हो रहे शवों के अंतिम संस्कार के आंकड़े इसके ठीक उलट हैं.
हकीकत से अलग मौत के सरकारी आंकड़े कोविड गाइडलाइन के तहत 35 शवों का अंतिम संस्कार
शहर में पिछले एक हफ्ते में 35 से ज्यादा मृतकों का अंतिम संस्कार कोविड गाइडलाइन के तहत किया गया. लेकिन प्रशासन के मुताबिक इस दौरान सिर्फ 10 मरीजों की मौत कोरोना से हुई. श्मशान घाट जाकर देखने पर प्रशासन के दावों की हकीकत सामने आ जाती है. दमोह के श्मशान घाट में हर दिन शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए जगह कम पड़ जाती है. कई शवों का अंतिम संस्कार शेड के बाहर जमीन पर करना पड़ रहा है.
कोरोना संदिग्ध का अंतिम संस्कार भी गाइडलाइन के अनुसार
इस संबंध में जिले की मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संगीता त्रिवेदी का कहना है कि कई मरीज उस समय अस्पताल आते हैं, जब हालात बेकाबू हो जाते हैं. ऐसे में उनका एंटीजन टेस्ट करके इलाज शुरू किया जाता है. कई बार एंटीजन टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आती है लेकिन उन्हें कोरोना संदिग्ध मानकर इलाज किया जाता है. इस दौरान रिपोर्ट आने से पहले मरीज की मौत हो जाती है. कोरोना रिपोर्ट नहीं होने पर उन्हें कोरोना पॉजिटिव नहीं बताया जा सकता, इसलिए संदिग्थ मानकर उनका अंतिम संस्कार भई कोविड प्रोटोकॉल के तहत होता है.