दमोह। शेखों की नगरी दुबई (यूएई) के रेगिस्तान में अब जैविक खेती होगी. बुंदेलखंड के आकाश चौरसिया को बीते दिनों मल्टीलेयर फार्मिंग के गुर सीखने के लिए दुबई आमंत्रित किया गया था. आकाश ने वहां रेतीले मैदान में देशी ग्रीन हाउस तैयार कराकर खेत बनवाया और लोगों को एक खेत से बहु फसलीय तकनीक का प्रशिक्षण दिया. आकाश चौरसिया बताते हैं कि राजस्थान के पृथ्वीराज राठौड़ काफी समय से दुबई में रह रहे हैं. उनके साथ वहां भारतीय मूल के कई परिवार हैं, इन सभी ने आकाश से संपर्क कर दुबई में जैविक खेती और मल्टीलेयर फार्मिंग को सीखने की इच्छा जताई थी.
जलवायु के हिसाब से फसलों का चयन:तीन हफ्ते पहले दुबई में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, करीब एक एकड़ रेतीले मैदान को बांस व ग्रीन नेट से ग्रीन हाउस तैयार करने व्यावहारिक प्रशिक्षण देकर मिट्टी डलवाई गई. पानी की कमी को देखते हुए ड्रिप सिस्टम लगवाया गया. आकाश के अनुसार प्रशिक्षण के दौरान वहां की कृषि समस्याओं के बारे में अवगत कराया. उन परिस्थितियों पर खरे उतरने वाले मल्टीलेयर मॉडल की नींव रखी गई और एक रेत के मैदान को 5 दिन में मॉडल का रूप दिया. वहां की जलवायु के हिसाब से फसलों का चयन एवं कॉम्बिनेशन बनाकर फसलें लगाई गई. युवाओं को जैविक खाद, बीज संस्करण, गौ कृपा अमृतम, गौ पालन एवम प्रसंस्करण जैसे विषयों के बारे में प्रैक्टिकल जानकारी दी गई.
क्या है मल्टीलेयर फार्मिंग: मल्टीलेयर फार्मिंग का प्रयोग आकाश ने साल 2012 से प्रारम्भ किया था. इसमें वे भूमि के नीचे पहली फसल, जमीन पर उगने वाली छोटी जड़ वाली सब्जियां जिनमें भाजी, धनिया जैसी फसलों के बाद लता वाली फसल व सबसे ऊपर पपीता, केला जैसी फसल लेते हैं. इससे एक एकड़ में वे एक साल में 5 से लेकर 10 लाख तक कमाई तक के तरीके किसानों को सिखाते हैं. यह खेती पूर्णता जैविक, गौ आधारित करते हैं.