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बॉर्डर पर तैनात जवानों के लिए राखियां बना रहीं महिलाएं, सैनिटाइज कर भेजे जाएंगे रक्षा सूत्र

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Published : Jul 28, 2020, 4:09 PM IST

Updated : Jul 28, 2020, 5:05 PM IST

सरहद के पहरेदारों की कलाइयां भी रक्षाबंधन के मौके पर सूनी नहीं रहेंगी. शहीद मेजर अमित ठेंगे स्मृति समिति से जुड़ी महिलाएं हर साल की तरह इस साल भी रक्षा सूत्र भेज रही हैं. कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते इस बार राखियां सेनिटाइज कर भेज रही हैं.

जवानों के लिए रक्षा सूत्र

छिंदवाड़ा। सरहद के जवानों की कलाइयां भी रक्षाबंधन के मौके पर सूनी नहीं रहेंगी. शहीद मेजर अमित ठेंगे स्मृति समिति से जुड़ी महिलाएं हर साल की तरह इस साल भी रक्षासूत्र भेज रहीं हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते इस बार राखियां सेनिटाइज कर भेज रहीं हैं. शहीद मेजर अमित ठेंगे स्मृति समिति से जुड़ी बहनें जम्मू, श्रीनगर, भुज, असम , छत्तीसगढ़ और जयपुर के बीएसएफ एवं सीआरपीएफ के जवानों के लिए रक्षा सूत्र भेजती हैं.

जवानों के लिए रक्षा सूत्र

2014 से लगातार हर साल शहीद अमित ठेंगे स्मृति समिति द्वारा सरहद पर देश की रक्षा कर रहे वीर जवानों के लिए राखियां भेजती हैं. शहीद अमित ठेंगे स्मृति समिति में शामिल अमित ठाकरे की माताजी और कुछ महिलाओं ने भुज बॉर्डर-2013 भारत-पाक सीमा पर गए थे जहां उन्होंने देश की सीमाओं पर 24 घंटे खड़े वीर जवानों को वहां जाकर राखी बांधी थी.

जवानों के लिए रक्षा सूत्र तैयार

वहीं देवकी पदम महिला ने बताया कि वह भुज बॉर्डर पर शहीद अमित ठेंगे की माता जी के साथ गई थीं, जहां उन्होंने बॉर्डर पर वीर जवानों को राखी बांधी, उन्होंने बताया कि जवान बहनों को देखकर काफी खुश हुए और उनके आंखों से आंसू भी छलक आए. महिला ने बताया कि उसके बाद से हर साल अधिकांश बॉर्डर पर उनके लिए राखियां भेजती हैं.

2014 में लगभग ढाई हजार राखी भेजी, 2015 में 4000, ऐसे ही पिछले साल 6000 से अधिक राखियां सरहद पर भेजी हैं. खास तौर पर इन सभी राखियों में यहां ध्यान रखा गया कि चाइनीस सामान का उपयोग ना हो, इन काम में उनके घर के छोटे-छोटे बच्चे भी उनकी मदद कर रहे हैं.

Last Updated : Jul 28, 2020, 5:05 PM IST

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