छिंदवाड़ा।3 दिसंबर यानि नतीजों का दिन. चार राज्यों के चुनाव परिणाम आए. इस चुनाव में एमपी में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की. कहा जा रहा था कि एमपी के चुनाव में कांटे की टक्कर है, लेकिन काउंटिंग शुरू होते ही रूझान बीजेपी के पक्ष में नजर आए. इस चुनाव में शिवराज और कमलनाथ दोनों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया, लेकिन जनता ने शिवराज को चुना. वहीं बात अगर कमलनाथ की करें तोभले ही कमलनाथ अपने घर छिंदवाड़ा में विधानसभा का चुनाव जीत गए, लेकिन प्रदेश में उनकी बड़ी हार है. क्योंकि उनके चेहरे पर ही कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था.
2018 में संजीवनी साबित हुए थे कमलनाथ:छिंदवाड़ा को विकास मॉडल बता कर 2018 में कमलनाथ कांग्रेस को सत्ता में वापस कर दिया था, लेकिन सिंधिया समर्थक विधायकों की नाराजगी के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. एक बार फिर कमलनाथ मध्य प्रदेश के अध्यक्ष रहते हुए लगातार कांग्रेस को वापस करने के लिए मेहनत कर रहे थे, लेकिन मध्य प्रदेश की जनता ने उनके वादों पर भरोसा नहीं किया.
कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनने के लिए मांगे गए थे वोट:भले ही मध्य प्रदेश की जनता ने कमलनाथ को अपना मुख्यमंत्री बनाना मुनासिब नहीं समझा, लेकिन छिंदवाड़ा इस बार वोट मुख्यमंत्री के नाम पर डाले गए थे. कांग्रेस के हर नेता से लेकर प्रचार में कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट मांगे जा रहे थे छिंदवाड़ा की जनता ने भी कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट दिया.
अपने राजनीतिक सफर के साथ बेटे के भविष्य पर भी पड़ेगा असर:मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ के लिए विधानसभा चुनाव काफी अहम था, क्योंकि उनकी राजनीतिक जीवन के अंतिम चुनाव के साथ-साथ उनके बेटे और छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ के राजनीतिक भविष्य पर भी इसका असर पड़ेगा. 2019 में लोकसभा का चुनाव जीते. उनके बेटे सांसद नकुलनाथ के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी, लेकिन 2024 के चुनाव में नकुलनाथ के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा.