छिंदवाड़ा। दो साल पहले 2018 में जब कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी, तब छिंदवाड़ा जिले में विकास के सौगातों की झड़ी लग गई थी. जिसका आलम ये हुआ कि कमलनाथ पर छिंदवाड़ा के सीएम होने का आरोप लगने लगा. फिर इसी बात को मुद्दा बनाकर सिंधिया समर्थक विधायकों ने इस्तीफा दिया और कमलनाथ सरकार गिरा दी. इन आरोपों के पीछे वजह थी कि कमलनाथ के सीएम बनते ही छिंदवाड़ा के लिए करीब 12 हजार करोड़ रुपए के विकास काम शुरू किए गए थे.
छिंदवाड़ा जिले में लगातार विकास काम शुरू हो रहे थे. साथ ही कमलनाथ लगातार वहां के विकास के लिए बजट जारी कर रहे थे. इस वजह से उनकी पार्टी के कई विधायक नाराज थे. इसी नाराजगी के चलते उनकी सरकार भी चली गई. बेंगलुरू के होटल में रहने के दौरान सिंधिया समर्थक कई विधायकों ने वीडियो वायरल कर बताया था कि कमलनाथ सिर्फ छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री बनकर रह गए हैं. और वहीं पर विकास कार्यों में खर्च कर रहे हैं. इसके अलावा दूसरे विधायकों के क्षेत्र में विकास के नाम पर उन्होंने कुछ नहीं किया.
पढ़ें-18 साल बाद बीजेपी के 'महाराज', बदल गया इतिहास
छिंदवाड़ा का विकास बीजेपी सरकार की देन
छिंदवाड़ा में हुए विकास पर कांग्रेस विधायकों द्वारा लगाए गए भेदभाव के आरोप पर बीजेपी के जिला अध्यक्ष विवेक साहू का कहना है कि छिंदवाड़ा में जो विकास है, वह 15 साल की शिवराज सरकार की देन है. कमलनाथ और उनके बेटे सांसद नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा में कोई विकास नहीं किया है. कमलनाथ और कांग्रेस ने छिंदवाड़ा के नाम विकास का सिर्फ ढिंढोरा पीटा है. बीजेपी सरकार के विकास को अपनी उपलब्धि बताकर प्रदेश की जनता को छला था. विवेक साहू ने कमलनाथ पर आरोप लगाते हुए कहा कि कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में अगर कुछ किया है तो सबसे बड़ा घोटाला सिंचाई परियोजना में किया. उन्होंने इस योजना में 500 करोड़ रुपए का घोटाला किया है, जिसमें बिना जमीन अधिग्रहण के ही ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए एडवांस पेमेंट कर दी गई.