छिंदवाड़ा।कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उनके शवों को छूने से उनके परिजन तक डर रहे हैं. ऐसे में छिंदवाड़ा नगर निगम के कर्मचारी बेखौफ होकर संक्रमण से मरने वालों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. महामारी के दौर में अपनी जान को जोखिम में डालकर काम कर रहे इन निगम कर्मियों को अंतिम संस्कार के दौरान क्या समस्या आ रही है, इसकी कोई सुध नहीं ले रहा है. लिहाजा श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार करने वाले कर्मियों के लिए पीने के लिए साफ पानी तक की व्यवस्था नहीं है.
- हजारों शवों का कर चुके हैं अंतिम संस्कार
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का अप्रैल से छिंदवाड़ा में असर ज्यादा देखने को मिला है. कोरोना संक्रमण और शहर के अस्पतालों में समय से सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण सैंकड़ों लोगों ने जान गवाई है. मद्देनजर शहर के 3 श्मशान घाट में 971 लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हो चुका है. शहर में ऐसे कई मामले देखे गए हैं जहां मृतकों के परिजन तक कोरोना मृतकों का अंतिम संस्कार करने से डर रहे थे और ऐसे में संक्रमण की परवाह किए बिना इन लोगों ने अंतिम संस्कार किए हैं. ये लोग अब तक छिंदवाड़ा के परतला श्मशान घाट, देवर्धा श्मशान घाट में हजारों अंतिम संस्कार कर चुके हैं.
- पानी के लिए तरसते कर्मी
नगर निगम ने कोरोना संदिग्ध और संक्रमित मरीजों के लिए परतला के अलावा देवर्धा में भी एक श्मशान घाट बनाया है. देवर्धा श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें सुविधा के नाम पर सिर्फ सैनिटाइजर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि संसाधनों की तो बात दूर की है, उन्हें पीने के लिए साफ पानी भी नहीं मिल रहा है. नगर निगम ने उनके लिए एक टैंकर खड़ा कर दिया है. भीषण गर्मी में टैंकर का पानी गर्म हो जाता है और वह गंदा भी है, इसलिए मजबूरी में वह पानी की बोतल महंगे दामों में खरीदकर पी रहे हैं.