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बुंदेलखण्ड सूबे में करोड़ों रुपये के पैकेज हुए बेअसर, आज भी आदिवासी झुग्गी झोपड़ी में रहने को मजबूर

वैसे तो पूरे भारत में आदिवासियों को लेकर तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं भारत सरकार एवं राज्य सरकार आदिवासियों को सबल एवं प्रबल बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं लेकिन मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के नगर परिषद महाराजपुर क्षेत्र अंतर्गत आने वाला कुसमा एक ऐसा गांव है जहां एक आदिवासी परिवार गांव के बाहर पिछले 20 सालों से झुग्गी झोपड़ी में रह रहा है.

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Published : Oct 19, 2019, 10:48 PM IST

आदिवासी झुग्गी झोपड़ी में है रहने को मजबूर

केंद्र सरकार हो य राज्य सरकार, जब सरकारी योजनाएं जिस तबके के लिए बनाई जाती है और जब उसी तबके को सरकारी की बनाई गई योजना का लाभ नहीं मिल सके तो सरकार की सारी की सारी मशीनरी पर सवाल खड़े होना स्वभाविक है. कुछ ऐसा ही मामला छतरपुर जिले के महाराजपुर नगर परिषद क्षेत्र के कुसमा गांव का है. यहां एक आदिवासी परिवार पिछले 20 सालों से झुग्गी झोपड़ी में रहने को मजबूर है.

बुंदेलखण्ड सूबे में करोड़ों रुपये के पैकेज हुए बेअसर

ये आदिवासी परिवार गांव से दूर जंगलों में रहने को मजबूर है. आदिवासी जिस झुग्गी झुपड़ी में रहते हैं यहा कोई जानवर भी रहने को तैयार नहीं होगा. आदिवासियों के मुताबिक इस झुग्गी में कुल 7 सदस्यों का एक परिवार रहता है जिनमें चार महिलाएं और तीन पुरुष है

आदिवासियों के लिए करोड़ों रुपये के पैकेज की घोषणा करने वाली सरकार के लिए यह सच्चाई का आईना है. कि कैसे करोड़ो रुपयों के पैकेज आने के बाद भी आदिवासी झुग्गी झोपड़ी में रहने को मजबूर है.

झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली युवती ने बताया कि उसका पूरा परिवार इसी झोपड़ी में रहने को मजबूर है. युवती ने कहा कि वह आगे पढ़ाई जारी रखना चाहती है लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही है. जिसकी वजह से उसे बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी.

डिप्टी कलेक्टर प्रेम सिंह चौहान ने कहा कि अगर ऐसा कोई मामला है तो आवास योजना के जो अधिकारी हैं उन तक यह मामला पहुंचाया जाएगा साथ ही अधिकारिक तौर पर आदिवासी परिवार की की जाएगी.

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