छतरपुर। बड़ा मलहरा विधानसभा में कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेला है. पार्टी ने बड़ा मलहरा विधानसभा में प्रत्याशी के रूप में साध्वी राम सिया भारती को मैदान में उतारकर दिया दिखाने की कोशिश की है कि कांग्रेस भी कहीं ना कहीं हिंदुत्व की पार्टी है. राम सिया भारती खुद इस बात को कह चुकी हैं कि वह राष्ट्रवादी हैं और साध्वी हैं.
बड़ा मलहरा विधानसभा सीट हमेशा से ही मध्यप्रदेश की राजनीति में सुर्खियों में रही है. बड़ा मलहरा विधानसभा सीट से ही बीजेपी की फायर ब्रांड नेता व पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती विधायक रहीं थी. यही वजह है कि ऐसा माना जाता है कि प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से उमा भारती का इस विधानसभा में सीधा हस्तक्षेप रहता है.
बड़ा मलहारा में आज भी उमा भारती मानीं जाती हैं फायर ब्रांड नेता
राजनीतिक जानकारों की मानें तो उमा भारती ने जिस समय राम रूपी यात्रा शुरू की थी तो सबसे पहले इसी विधानसभा में उन्होंने अपनी राजनीतिक जमीन तलाशी थी और उमा भारती आज भी इस विधानसभा में ना सिर्फ फायर ब्रांड नेता के रूप में जानी जाती हैं, बल्कि कट्टर हिंदुत्व का एक चेहरा भी मानी जाती हैं.
इस सीट पर लोधी और यादव का सीधा असर
बड़ा मलहरा विधानसभा सीट में अगर जातिगत समीकरणों की बात करें तो लोधी यादव एवं अहिरवार वोटर इस विधानसभा सीट पर सीधा असर डालते हैं. ऐसा माना जाता है कि लोधी वोटर का दबदबा आज भी इस विधानसभा सीट में सबसे ज्यादा है. यही वजह है कि उमा भारती आज भी लोधी मतदाताओं की सबसे पहली पसंद मानी जाती हैं, लोगों का तो यहां तक मानना है कि उमा भारती के एक बार कहने से लोधी मतदाता इधर से उधर चला जाता है.
जातिगत समीकरण बिगाड़ सकते हैं खेल
अगर जातिगत समीकरणों की बात की जाए तो लोधी वोटर 37 हजार, वहीं यादव वोटर 32 हजार, और अहिरवार वोटर लगभग 44,000 के आस पास हैं. जातिगत समीकरण के चलते बड़ा मलहरा विधानसभा में सबसे ज्यादा हेरफेर होता है. ऐसा माना जाता है कि लोधी एवं यादव वोटर यहां की राजनीति में सीधा असर डालते हैं. यही वजह है कि बीजेपी ने प्रदुमन सिंह लोधी तो कांग्रेस ने राम सिया भारती को चुनावी मैदान में उतारा है. लेकिन अखंड प्रताप सिंह के मैदान में आने से अब यहां का मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है. अखंड प्रताप सिंह कांग्रेस को छोड़कर बीएसपी में शामिल हुए हैं और अब उन्हें बड़ा मलहरा से बीएसपी ने टिकट देते हुए इस सीट को जीत कर लाने की जिम्मेदारी सौंपी है.
बीजेपी का रहा है दबदबा
अगर बड़ा मलहरा के 30 साल के चुनावी इतिहास को देखा जाए तो अब तक कुल एक बार इस विधानसभा से कांग्रेस जीती है. एक बार जनशक्ति पार्टी ने इस सीट पर अपनी जीत दर्ज की थी. बाकी के 30 सालों से यहां पर बीजेपी का दबदबा रहा है. यह सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. इस सीट ने प्रदेश को मुख्यमंत्री के रूप में उमा भारती को दिया था. और एक बार फिर कांग्रेस ने इसी सीट पर एक साध्वी को मैदान में उतारकर लोगों के सामने एक साध्वी नेत्री को नेतृत्व करने के लिए भेजा है.