भोपाल। शहर की पहचान जितनी तालाबों से है, उतनी हरियाली से भी है. जो राजधानी की खूबसूरती में चार चांद लगाती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में राजधानी की बढ़ती आबादी और विकास के नाम पर बड़ी मात्रा में पेड़ की कटाई की गई है. अगर इस ओर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में भोपाल की ग्रीनरी गायब होती जायेगी.
स्मार्ट सिटी के लिए 5 हजार पेड़ काटे
टीटी नगर में 342 एकड़ एरिया में स्मार्ट सिटी बनाई जा रही है. यहां पर अब तक 5 हजार के करीब पेड़ काट दिए गए हैं. कटाई को लेकर विरोध भी किया गया, जिसके बाद मामला एनजीटी पहुंचा. इसके बाद तय हुआ कि यहां के 850 पेड़ों को चंदनपुरा और कलियासोत इलाके में ट्रांसप्लांट किया जाएगा. पहले चरण में करीब 300 पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जा रहा है. वहीं जो पेड़ स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के दायरे से बाहर है, उन्हें नहीं हटाया जाएगा. सिर्फ प्रोजेक्ट के दायरे में आने वाले पेड़ों को हटाया जाना है.
स्मार्ट सिटी के अलावा शहर में बड़ी संख्या में आबादी बढ़ने की वजह से पेड़ काटे जा रहे है. इसको लेकर सह स्मार्ट सिटी अध्यक्ष एवं कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि पेड़ ट्रांसप्लांट का काम स्मार्ट सिटी में डीएम मार्केटिंग कंपनी को दिया गया है, लेकिन कंपनी खुद काम नहीं कर रही है. उन्होंने पेड़ की शिफ्टिंग का काम दिल्ली के रोहित नर्सरी को दिया है.
पेड़ ट्रांसप्लांट का काम शुरू हो गया है, लेकिन इस पर अब सवाल उठ रहे हैं कि जो पेड़ ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं, उसकी दूसरे पेड़ों से दूरी सिर्फ 2 से 5 फीट है. ये नियम के विरुद्ध है. बड़े पेड़ को 20 फीट दूरी पर ट्रांसप्लांट करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.