भोपाल।देश में लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से कई व्यवसाय सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं, प्रदेश में पूरी तरह से लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है. 21 दिन के लॉकडाउन के चलते ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को करोड़ों का नुकसान हर दिन उठाना पड़ रहा है. मध्यप्रदेश में लॉकडाउन होने की वजह से ट्रकों के पहिए भी थमे हुए हैं. देश में 95 लाख ट्रक चलते हैं तो वहीं मध्यप्रदेश में इनकी संख्या 6 लाख से ज्यादा बताई जाती है. 22 मार्च से माल का परिवहन पूरी तरह से बंद है, जिस कारण ट्रांसपोर्टर्स को 120 करोड़ रुपए का नुकसान हर दिन उठाना पड़ रहा है.
लॉकडाउन से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय ठप ट्रांसपोर्ट नगर कोकता के अध्यक्ष अशोक गुप्ता का कहना है कि कंप्लीट लॉकडाउन की वजह से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. समस्या ये भी हो रही है कि जिन लोगों ने गाड़ियां फाइनेंस करवाई हैं उनकी किस्त किस तरह से भरी जाएगी, क्योंकि लॉकडाउन कितने समय तक चलता है, ये कहा नहीं जा सकता है. ऐसी स्थिति में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को करोड़ों रुपए का नुकसान प्रत्येक दिन उठाना पड़ रहा है. इसके अलावा अचानक लॉकडाउन लागू होने की वजह से कई व्यवसायियों के ट्रकों का पता भी नहीं चल पा रहा है कि वो इस समय किस लोकेशन पर खड़े हैं.
यूनियन करेगी सहायता की मांग
देशभर के ट्रांसपोर्टर्स कारोबारियों ने मंगलवार दोपहर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की है, इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ट्रांसपोर्टर्स ने तय किया है कि वो सरकार से पैकेज की मांग करने सहित ड्राइवरों की सुरक्षा एवं बीमा आदि की मांग करेंगे. लॉकडाउन से पहले रवाना हुए कई ट्रक आज जहां-तहां जगह मिली है, वहीं खड़े हुए हैं.परेशानी उन गाड़ियों में ज्यादा है जिनमें माल भरा हुआ है और उनके ड्राइवर क्लीनर के साथ वापस लौट गए हैं. ऐसे ट्रकों पर ट्रांसपोर्टर्स को अलग से ध्यान देना पड़ रहा है.
लॉकडाउन से ट्रांसपोर्ट व्यवसाय ठप दोबारा शुरुआत होगी मुश्किल भरी दोबारा शुरुआत होगी मुश्किल भरी
ट्रांसपोर्टर कारोबारियों का मानना है कि लॉकडाउन खुलने के बाद एकदम से कुछ दिक्कतें आ सकती हैं. क्योंकि सभी ड्राइवर अपने-अपने घर जा चुके हैं. माल पैक करने वाला पैकिंग मटेरियल भी पूरी तरह से खत्म हो चुका है. ऐसी स्थिति में एक बार फिर से नए सिरे से शुरुआत करनी होगी, जिसमें काफी समय व्यतीत हो सकता है. ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस नई दिल्ली की ओर से देश में माल की आवाजाही के लिए एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया है, लेकिन इसके जरिए सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की ही सप्लाई की जा रही है इसका आंकड़ा 5 से 10 प्रतिशत बताया जाता है.