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भोपाल: श्मशान घाट में अनोखा मुक्तेश्वर शिव धाम, रात में लगता है भक्तों का तांता

महाशिवरात्रि के मौके पर यहां सुबह से ही शिव भक्त भारी संख्या में पहुंचने लगते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा भीड़ देर रात दस बजे के बाद शुरू होती है, जो प्रातः काल तक जारी रहती है. राजधानी के छोला क्षेत्र में बने इस श्मशान घाट में कई वर्षों पुराना शिव मंदिर स्थापित है. बताया जा रहा है कि नवाबी शासनकाल से ही यहां मंदिर बना हुआ है. राजधानी भोपाल के सभी शिवभक्त यहां पर पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं. इस मंदिर को मुक्तेश्वर शिव धाम के नाम से जाना जाता है.

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Published : Mar 5, 2019, 10:08 AM IST

भोपाल। जहां लोग दिन में जाने से डरते हैं, वहां देर रात तक लोगों का मेला दिखाई दे, तो आश्चर्य जरूर होगा. रात का सन्नाटा हो और उसी जगह महिलाओं की भारी भीड़ भगवान शिव की आराधना कर रही हो, यह दृश्य विरले ही देखने को मिलता है, लेकिन राजधानी भोपाल के छोला श्मशान घाट पर सोमवार को महाशिवरात्रि के मौके पर कुछ इसी तरह का नजारा दिखा.

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महाशिवरात्रि के मौके पर यहां सुबह से ही शिव भक्त भारी संख्या में पहुंचने लगते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा भीड़ देर रात दस बजे के बाद शुरू होती है, जो प्रातः काल तक जारी रहती है. राजधानी के छोला क्षेत्र में बने इस श्मशान घाट में कई वर्षों पुराना शिव मंदिर स्थापित है. बताया जा रहा है कि नवाबी शासनकाल से ही यहां मंदिर बना हुआ है. राजधानी भोपाल के सभी शिवभक्त यहां पर पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं. इस मंदिर को मुक्तेश्वर शिव धाम के नाम से जाना जाता है.

मुक्तेश्वर शिव धाम के पुजारी ने बताया कि महाशिवरात्रि के मौके पर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी देर रात से ही भक्तों का तांता लग जाता है. खास बात ये है कि श्मशान में मंदिर होने की वजह से लोगों में एक भय का माहौल रहता है, लेकिन जब मंदिर में प्रवेश करते हैं, तो यह भय अचानक ही श्रद्धालु के मन से निकल जाता है. पुजारी ने बताया कि श्मशान में महिलाओं का प्रवेश निषेध रहता है, लेकिन महाशिवरात्रि के अवसर पर ही महिलाएं यहां पर प्रवेश करती हैं.


महाकाल मंदिर जैसी होती है भस्म आरती
मंदिर के पुजारी ने बताया कि उज्जैन के महाकाल मंदिर में जिस तरह से भस्म आरती होती है, उसी तरह से इस मंदिर में भी शिव की भस्म आरती की जाती है. यह प्रक्रिया प्रत्येक दिन की जाती है और महाशिवरात्रि पर तो भस्म आरती का महत्व ही बढ़ जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि भले ही यह मंदिर श्मशान घाट में बनाया गया है, लेकिन महाशिवरात्रि के अवसर पर वह अपने परिवार के साथ इस मंदिर में आकर पूजा-अर्चना करते हैं और किसी के चेहरे पर भी डर नहीं रहता है.


'रात में जाने से नहीं लगता डर'
श्रद्धालुओं का कहना है कि श्मशान घाट में मंदिर होना एक इत्तेफाक की बात है, लेकिन जब हम एक अच्छे मन से भगवान शंकर की पूजा करने के लिए जा रहे हैं, तो फिर हमें किसी भी तरह से डरना नहीं चाहिए.

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