भोपाल।द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने मंदिर का निर्माण पूर्ण हो जाने से पहले राम लला की प्राठ प्रतिष्ठा किए जाने पर कहा है कि ये पहले विचार किया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि अब तो मंगलाचरण शुरु हो चुका है. उन्होंने कहा कि धर्म शास्त्र का आलंबन करके जो आचार्य आपके बीच हैं. आप उनको इसीलिए मानते हैं कि वे आपको दिशा निर्देश दें, लेकिन मनमाना ना दें. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर में होने जा रही प्राण प्रतिष्ठा के विषय में शंकराचार्यों के बीच विवाद की स्थिति नहीं है. ना कोई पक्ष में है ना विरोध में. राम जन्मभूमि में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में सभी शंकराचार्य एक मत हैं.
किस बात पर सभी शंकराचार्य एक मत ?
देश की चारों पीठ के शंकराचार्य अयोध्या में हो रही भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. द्वारका पीठ के शंकराचार्य सदानंद सरस्वती से ईटीवी भारत का प्रश्न था कि दो शंकराचार्य विरोध और दो पक्ष में हैं. क्या शंकराचार्यं के बीच भी विवाद की स्थिति. उन्होंने कहा कि कोई विवाद नहीं है ना कोई पक्ष में है. ना कोई विरोध में है. श्री राम के मंदिर का संकल्प सभी का था. शास्त्र की बात आचार्य ही करते हैं. शंकराचार्य हैं उनको धर्म शास्त्र के अनुसार चलना पड़ता है.
शंकराचार्य ने कहा कि आप लोग इसीलिए मानते हैं कि आपको दिशा निर्देश दें. दिशा निर्देश भी कैसा दें मनमाना ना दें. वेदोक्त शास्त्रोक्त हमारा सनातन धर्म है. ये तो विधि निषेध है. ये करो ये मत करो. ये खाओ ये मत खाओ. यहां जाओ यहां मत जाओ. ये बोलो ये मत बोलो. ये सब विधान है. काम चार काम वाद काम भक्ष तीनों का निषेध है, राम के संबंध में वो बताना हम लोगों का कर्तव्य होता है. जन्मभूमि के संबंध में सब एक हैं. चारों शंकराचार्यों में कोई मतभेद नहीं है. चारों मठ एक हैं. उनकी स्थापना करने वाले एक हैं. उनके जो सिद्धांत हैं, वो चारों में विभाजित हुए हैं. एक ही परमात्मा चार रुप में अवतरित हुआ है. एक ही चेतन विभाजित हुआ है, चार में राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न जैसे इनमें कोई अलग नहीं है, तो इसी तरह से चारों मठों का जो सिद्धांत है. वो एक है.
अयोध्या मंदिर से जुड़ी किस बात पर कहा...ये अवसर नहीं