भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भोपाल में बुधवार से शुरू हुई तीन दिवसीय उच्चस्तरीय बैठक के बाद कुछ प्रचारकों के कार्यक्षेत्र में परिवर्तन हो सकता है. संघ के तीन दर्जन से अधिक संगठनों में काम कर रहे कई प्रचारकों को नई जिम्मेदारी मिल सकती है. संघ सूत्रों का कहना है कि जुलाई वह समय होता है, जब संगठन की ओर से तैयार हुए नए प्रचारकों को भी दायित्व देने की तैयारी होती है. इस वजह से एक संगठन से दूसरे संगठनों में प्रचारक भेजे जाते हैं.
संघ की हर साल जुलाई में होने वाली तीन दिनों की बैठक कई मायनों में खास होती है. वजह कि इस बैठक के बाद संघ अपने सहयोगी संगठनों(अनुषांगिक) में प्रचारकों के कार्यक्षेत्र में फेरबदल करता है. प्रचारक जरूरत के हिसाब से एक संगठन से दूसरे संगठन में भेजे जाते हैं. सेवा भारती, आरोग्य भारती, संस्कृत भारती सहित संघ परिवार के पास 36 से अधिक सहयोगी संगठन हैं.
इन संगठनों का संचालन संघ से निकलने वाले स्वयंसेवक ही करते हैं. संघ सूत्रों ने बताया कि संघ के सर संघचालक मोहन भागवत की अध्यक्षता में शुरू हुई इस जुलाई बैठक के बाद संघ और अनुषांगिक संगठनों में कार्यरत कुछ प्रचारक नई भूमिकाओं में दिख सकते हैं. भोपाल में हो रही इस बैठक में सर कार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी, सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, डॉ. कृष्णगोपाल प्रमुख रूप से हिस्सा ले रहे हैं.
नागपुर के संघ विचारक दिलीप देवधर आईएएनएस से कहते हैं कि आरएसएस की हर वर्ष तीन प्रमुख बैठक होती है. जिस पर सभी की निगाहें होती हैं. मार्च में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक होती है. इसमें संघ नीतिगत फैसले के साथ अपनी आंतरिक संरचना में बदलाव से जुड़े निर्णय लेता है.
जुलाई की बैठक में संघ अपने 36 सहयोगी संगठनों से जुड़े प्रचारकों की जिम्मेदारियों में जरूरत के हिसाब से परिवर्तन का निर्णय करता है. वहीं दीपावली के आसपास होने वाली तीसरी महत्वपूर्ण बैठक में स्वयंसेवकों के व्यक्तित्व विकास पर चर्चा होती है. जुलाई की बैठक में सिर्फ प्रांत प्रचारक और इससे ऊपर के पूर्णकालिक प्रचारक हिस्सा लेते हैं, वहीं दीवाली की बैठक में पूर्णकालिक और गृहस्थ दोनों प्रकार के पदाधिकारी भाग लेते हैं.