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कुम्हारों को मिले काम, इसलिए आत्मनिर्भरता से जोड़े इनकी कला

इन दिनों देश में स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की बात चल रही है, ऐसे में मिट्टी के बर्तनों को चलन में लाकर आगे बढ़ने की जरूरत समझ आ रही है. इससे कुम्हारों को रोजगार भी मिलेगा और आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी.

potters set an example for self dependence
कुम्हारों को मिले काम

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Published : May 29, 2020, 2:00 PM IST

भोपाल। एक कुम्हार मिट्टी को नया आकार देता है, पानी से मिट्टी को गूंथकर चाक पर चढ़ाता है, फिर उसे अपने हुनर से आकार देता है, लेकिन बदलते दौर में कुम्हारों की कला अपनी पहचान खोती जा रही है. ऐसे में मिट्टी के इन कलाकारों और इनके हुनर को संवारने के लिए मदद की जरूरत है. ताकि वर्षों पुरानी मिट्टी के बर्तन बनाने की इस परंपरा के साथ- साथ कुम्हारों को भी मदद मिल सके.

कुम्हारों को मिले काम

प्रसिद्ध सिरेमिक कलाकार देवीलाल पाटीदार ने कहा कि, मिट्टी का हमारे जीवन में बहुत महत्व है और जब हमारा देश और मानवता किसी तरह के संकट में होती है, तो उसे उबरने का केवल एक ही रास्ता होता है, आत्मनिर्भरता और मिट्टी हमें स्वावलंबन से जोड़ती है. उन्होंने कहा इस पर चर्चा करने की जरूरत है, ताकि पूरी दुनिया मिट्टी को आकार देने वाले इन कुम्हारों के बारे में सोचें और इनकी मदद के लिए आगे आएं. उन्होंने कहा कि, कुम्हार जो हमारे लिए मिट्टी की जरूरी चीजें बनाते हैं, आज की स्थिति में इनके उत्थान के लिए काम करने की जरुरत है. आज जब बात आत्मनिर्भरता की आती है तो कुम्हारों का महत्व बढ़ जाता है.

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