भोपाल। कोरोना काल चलते पिछले 7 माह से प्रदेश के शासकीय और निजी स्कूल बंद पड़े हैं. अनलॉक में भी स्कूलों को खोलने की इजाजत नहीं मिली है. 21 सितंबर से भारत सरकार की गाइडलाइन के मद्देनजर स्कूल और कॉलेजों में डाउट क्लासेस शुरू हो चुकी है. राजधानी के शासकीय स्कूल डाउट क्लास के लिए खुल चुके हैं. लेकिन निजी स्कूलों को अभी तक नहीं खोला गया है. निजी स्कूल अपनी कुछ मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में आ गया है. प्रदेश के निजी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं उन छात्रों के लिए बंद हो चुकी हैं जिनके अभिभवक स्कूल फीस नहीं दे पाए हैं.
कोरोना काल में ऑनलाइन क्लासेस हुई बंद स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावकों की लड़ाई
निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभवक प्रतिवर्ष शिकायतें लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय और बाल आयोग के चक्कर के काटते हैं. बावजूद इसके आज तक किसी भी स्कूल पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई है. पिछले वर्ष बाल आयोग और जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में 500 से ज्यादा शिकायतें दर्ज की गई थी. लेकिन स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, आम दिनों में जब निजी स्कूल फीस के लिए मनमानी कर मोटी रकम वसूलते थे, तब अभिभावकों को भी मजबूरन फीस देनी ही पड़ती थी. क्योंकि स्कूलों खुले होते थे और फीस नहीं देने पर बच्चों को इसका खामियाजा स्कूल में भुगतना पड़ता था. अब कोरोना काल मे स्कूल बंद हैं और निजी स्कूलों की मनमानी अब भी जारी है. लेकिन अभिभवक इस वर्ष निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ डट कर लड़ाई लड़ रहे हैं. स्कूल बंद होने के चलते अभिभवक मनमानी फीस स्कूलों को नहीं दे रहे हैं.
निजी स्कूल संचालकों जिद पर अड़े
निजी स्कूलों के संचालकों का कहना है कि स्कूल अभिभावकों की फीस से ही चलते हैं. कोरोना में भले ही स्कूल बंद है लेकिन स्कूलों का मेंटेनेंस स्टाफ को पैसा देना, टीचर्स की पेमेंट करना यह स्कूल की जिम्मेदारी है. भले ही स्कूल बंद है लेकिन ऑनलाइन कक्षाएं लगातार लगाई जा रही हैं. ऐसे में अगर अभिभावक फीस नहीं देंगे तो स्कूल अपना खर्चा कैसे निकालेंगे और इसीलिए अब निजी स्कूल भी अपनी जिद पर अड़ गए हैं. शासन से स्कूलों का किराया माफ करने सहित पांच सूत्रीय मांगों को लेकर शासन के खिलाफ लामबंद हो गए हैं. निजी स्कूलों की मांग है कि सरकार स्कूलों का किराया माफ करें टैक्स में छूट दे. स्कूलों का जो बिजली का बिल है उसे माफ करें. साथ ही अभिभावकों को ट्यूशन फीस देने के लिए आदेश निकालें और ऑनलाइन कक्षाओं की फीस भी निर्धारित करें. ऐसा नहीं करने पर निजी स्कूलों को भी लाखों रुपए का नुकसान झेलना पड़ रहा है और अगर शासन ने निजी स्कूलों की मांग नहीं मानी तो निजी स्कूल पूरी तरह से ऑनलाइन कक्षाएं बंद करके स्कूलों को बंद कर देंगे. जिससे लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में आ जाएगा और इसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी.
स्कूलों पर होगी कार्रवाई
जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने बताया की निजी स्कूलों की मनमानी और फीस वसूली को लेकर कार्यालय में कई शिकायतें दर्ज हैं. 100 से अधिक स्कूलों को नोटिस भेज दिया गया है, लेकिन स्कूलों द्वारा अभिभावकों को परेशान किया जा रहा है. ऐसे में स्कूलों पर सख्त कार्रवाई जरूर होगी. वहीं बाल आयोग सदस्य बृजेश चौहान का कहना है कि इस तरह की शिकायतें प्रतिवर्ष सामने आती हैं. इस साल कोरोना काल में शिकायतें बहुत ज्यादा आ रही है. स्कूलों द्वारा राइट टू एजुकेशन का उलंघन किया जा रहा है. ऐसे में उन सभी स्कूलों पर कार्रवाई होगी जो इस तरह से बच्चों को पढ़ाई से वंचित कर रहे हैं.