भोपाल। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले अभिषेक के पिता एक सरकारी अफसर थे. पिता ने अभिषेक को एक बड़ी इंस्टीट्यूट से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करवाई, ताकि वो एक बेहतरीन जॉब कर सके, लेकिन अभिषेक के दिमाग में कुछ अलग ही चल रहा था. स्कूली लाइफ से ही उन्होंने समस्या को पहुंचाकर उसका समाधान ढूंढना शुरू कर दिया था. कॉलेज आते-आते उन्हें साफ पता चल गया कि वे किस काम के लिए बने हैं. शुरूआत हुई पहले मुस्कान की और फिर बना मुस्कान ड्रीम्स. इस प्रोजेक्ट में अभी करीब राज्यों के कई स्कूल जुड़ चुके हैं. पढ़िए अभिषेक दुबे से हुई बातचीत के खास अंश.
प्रश्न:सरकारी स्कूल में पढ़ाई का तरीका किताब की बजाय एनीमेशन से हो, यह पूरा कांसेप्ट क्या है और कैसे दिमाग में आया?
जवाब :वर्ष 2017 में जब मैंने ग्रेजुएशन पूरा किया तो यह कांसेप्ट आया था. दरअसल मैं और मेरे कुछ साथी जब कॉलेज में थे, तो सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने जाते थे. पढ़ाने के साथ-साथ महसूस हुआ कि बच्चे जो पढ़ रहे हैं, क्लास में उनका अपने सब्जेक्ट में कोई बहुत दिलचस्पी नहीं है. पढ़ाने का जो तरीका है, वो भी बहुत ही बोरिंग है. तो मेरे दिमाग ने एक आइडिया सोचना शुरू किया कि कैसे पढ़ाई को इंजॉयबल बनाया जाए? जिसमें बच्चों को सीखने के लिए जदद्दोजहद न करना पड़े और उनको खुद मजा आना चाहिए. वहीं से शुरूआत हुई और 2017 में ही हमने पहली बार एक स्कूल में पायलट किया. उसके बाद समझ आया कि इसका इंपेक्ट कैसा है.
प्रश्न:अभी देश के कितने स्कूलों में यह प्रोजेक्ट चल रहा है?
जवाब: देशभर में हमने एक हजार स्कूल कवर कर लिए हैं. इस साल हम 5000 स्कूल कवर करने का काम कर लेंगे.
प्रश्न: यह कंटेंट केवल टीवी के लिए है या फिर इसे कॉमिक बुक की तरह किताबों में शामिल किया जाएगा?
जवाब: हमारा पूरा फोकस डिजीटल पर ही है. बच्चे डिजिटल के लिए तैयार हैं. इसीलिए हमारा पूरा कंटेंट सिर्फ टीवी या स्मार्ट फोन और टेबलेट को ध्यान में रखकर बनाया गया है. यह पूरी तरह से एप बेस्ड है. हमारा अपना सॉफ्टवेयर है. इसमें कार्टून अपलोड किए गए हैं और टीचर्स पढ़ा रहे हैं. इसमें हमने किसी तरह का कोई करेक्टर नहीं रखा है. जैसे दूरदर्शन पर मीना कार्टून चलता था. यह कंटेंट साइंस और मैथ पर फोकस करके बनाया गया है. खासकर जहां टीचर कम है, वहां यह बहुत काम का है.
प्रश्न: चैलेंज क्या थे? कैसे सरकार के साथ टाइअप हुआ?
जवाब: हमारे साथ भी चैलेंज थे. बहुत चक्कर लगाए. फंड पार्टनर और हमे दो-तीन साल लगे और सरकार ने भी स्वीकार किया. फिर एमओयू साइन किया और 100 स्कूल में काम शुरू कर दिया. शुरूआत में थोड़ी दिक्कत आई. किसी भी काम को लगातार करते रहना जरूरी है.
प्रश्न:आपको लगता है कि भारत में एनीमेशन के जरिए पढ़ाई करना क्रांतिकारी कदम होगा?
जवाब: जब हमारा दिमाग सोचता है तो वह शब्दों में नहीं, बल्कि पिक्चर में सोचता है. देखकर सीख सकते हैं, इसलिए हमें दिखाकर सिखाना होगा. इंपोर्टेट है दिखाना. कोई गांव का बच्चा जो गांव से बाहर नहीं गया, उसके माता सक्षम नहीं है और हम आशा करते हैं कि वो किताब के डायग्राम से पूरी साइंस समझ ले तो आप समझ लीजिए की उनके लिए कितना मुश्किल है. यदि ऐसे बदलाव करना है, तो यह डिजीटल माध्यम से ही हो सकता है. पढ़ाने का माध्यम एनीमेशन होगा तो बच्चों को पढ़ाने के लिए मेहनत नहीं करनी पड़ेगा. उन्हें मजा आएगा पढ़ने में.
प्रश्न: भारत में न्यू एजुकेशन पॉलिसी बदली है, इसको लेकर आप क्या सोचते हैं?
जवाब: बहुत सारी चीजें है. मशीन लर्निंग, डिजीटल, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी डाली है, जो बहुत अच्छा है. अब इन पर लगातार काम करने की जरूरत है. हमारे आर्गनाइजेशन की जरूरत है. सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर काम कर पाए. यंग आंत्रप्योनर की जरूरत है, जो आइडियाज के साथ टेक्नोलॉजी लाकर दे. हम अभी एजुकेशन को सपोर्ट कर रहे हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा रूट लेवल तक पहुंचे. सरकार के पास स्केल होता है और हमारे पास आइडियाज. कनेक्ट करेंगे तो बहुत सारे बच्चे तक पहुंच पाएंगे.
प्रश्न: अभी कितने लोगों की टीम काम कर रही है और कितने राज्य में काम फैला है?
जवाब: अभी हमारी 100 लोगों की टीम काम कर रही है. जो कि एमपी, यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तराखंड में एक्टिव है. हमारी टीम एक स्कूल में दो साल तक काम करती है. जिन स्कूल में काम करते हैं. इंश्योर करते हैं कि जो टीचर्स हैं, वो ठीक तरीके से कर पा रहे हैं या नहीं, ठीक-ठाक पढ़ा पा रहे हैं. डिजीटल से सीखना और फिर उसी तकनीक से सिखाना दोनों अलग अलग काम है. एमपी में अभी हम पांच जिलों में काम कर रहे हैं. ग्वालियर इंदौर, मुरैना श्याेपुर और भोपाल में चल रहा है. नए जिलाें में सिवनी, सीहोर, देवास, विदिशा, सिंगरौली नए जिले जोड़ रहे हैं.
प्रश्न:मुस्कान ड्रीम्स नाम दिमाग में कैसे आया?
जवाब: आइडिया यही था कि कॉलेज में क्या करना चाहते हैं. फोकस था कि छोटे बच्चों के लिए काम करेंगे. वहां से मुस्कान नाम आया. बाद में दिमाग में आया कि इसको कनेक्ट कैसे करें तो फिर विजन से कनेक्ट हुआ कि सपने दिखाना बहुत जरूरी है. तो ऐसे मुस्कान ड्रीम्स हमारे आर्गनाइजेशन का नाम पड़ा. आप बच्चों की स्माइल चाहते हो तो उसे पूरा करने के लिए सपने दिखाना जरूरी है.