शिवराज सरकार को नसीहत, ठेका प्रथा खत्म कर सरकारी कंपनी से वेतन दिया जाए भोपाल। मध्यप्रदेश में बिजली आउट सोर्स कर्मचारियों ने शिवराज सरकार को नसीहत दी है कि उसे राजस्थान की गहलोत सरकार से प्रेरणा लेनी चाहिए. चुनावी साल में सरकार को बड़ा झटका देने की तैयारी कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों की दलील है कि जिस तरह राजस्थान में सरकार ने ठेका प्रथा को खत्म करके सरकारी कंपनी के जरिए वेतन देने की घोषणा की है. उसी तरह से मध्यप्रदेश में भी शिवराज सरकार को भी बिजली सेक्टर समेत बाकी विभागों में भी ठेका प्रथा खत्म करके सीधे सरकारी कंपनी बनाकर वेतन देना चाहिए. राजस्थान सरकार की इस घोषणा को एमपी में अमल में लाने के लिए बिजली आउट सोर्स कर्मचारियों ने उज्जैन के महाकाल मंदिर से सविनय अवज्ञा पद यात्रा शुरु कर दी है.
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बिजली कर्मचारियों ने दी राजस्थान की मिसालः राजस्थान में कांग्रेस की सरकार मिसाल अब एमपी में दी जा रही है. बिजली आउट सोर्स कर्मचारियों ने राजस्थान में हाल ही में ठेका प्रथा खत्म किए जाने का उदाहरण शिवराज सरकार को दिया है. आउट सोर्स कर्मचारी संगठन के प्रांतीय महामंत्री राहुल मालवीय ने मांग की है कि जिस तरह से राजस्थान के मुख्यमंत्री ने अपने राज्य में ठेकेदारी प्रथा समाप्त करने का निर्णय लिया है. जिस तरह से सरकारी लॉजिस्टिकल सर्विसेज डिलेवरी कार्पोरेशन के जरिए ठेका कर्मियों को वेतन देने का एलान किया है. मध्यप्रदेश में भी शिवराज सरकार को भी बिजली कंपनी समेत बाकी सभा विभागों में एक सरकारी कंपनी बनाकर ठेका प्रथा खत्म कर देना चाहिए.
ठेका प्रथा खत्म कर सरकारी कंपनी से वेतन दिया जाए सविनय निवेदन पदयात्रा पर बिजली कर्मचारीः आमतौर पर चुनावी साल में उज्जैन महाकाल मंदिर से राजनीतिक दलों के चुनाव अभियान शुरु होते हैं.लेकिन राजस्थान सरकार की इस घोषणा के बाद एमपी में बिजली सेक्टर के आउट सोर्स कर्मचारियों ने महाकाल मंदिर से पदयात्रा शुरू कर दी है. कर्मचारियों ने महाकाल मंदिर से 200 किलोमीटर की सविनय निवेदन पदयात्रा शुरू की है. यह यात्रा भोपाल में खत्म होगी.आउट सोर्स कर्मचारी विभागों से सीधे वेतन दिए जाने के साथ जनवरी महीने में आंदोलन के दौरान हटाए गए एक हजार आउट सोर्स कर्मचारी और 50 से ज्यादा संविदा कर्मचारियों काे वापस सेवा में लिए जाने की मांग कर रहे हैं.
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चुनावी साल में फिर झटके की तैयारीः एमपी में बिजली विभाग चुनावी साल की शुरुआत से ही आंदोलन की तैयारी में रहा है. पहले 6 जनवरी से अनिश्चितकालीन आंदोलन की तैयारी थी. जिसमें बिजली विभाग के आउटसोर्स संविदा और नियमित कर्मचारी एक साथ आंदोलन पर उतरने जा रहे थे. फिर इन्वेस्टर्स समिट की वजह से कर्मचारियों ने आंदोलन स्थगित किया. लेकिन 21 जनवरी से फिर आंदोलन शुरू किया.उस दौरान सरकार ने आउट सोर्स कर्मिचारियों को हटा दिया. बिजली और आउट सोर्स कर्मचारियों का दावा है कि पांच साल में ये कर्मचारी पांच सौ से ज्यादा ज्ञापन सरकार को सौंप चुके हैं. संगठन के प्रांतीय महामंत्री राहुल मालवीय के मुताबिक मध्यप्रदेश की 6 बिजली कंपनियों में काम कर हे 45 हजार बिजली आउटसोर्स-संविदा कर्मी उन्हें नियमित करने व विभागीय संविलियन की मांग को लेकर लबे समय से आंदोलन कर रहे हैं. संगठन की मांग है कि पिछले आंदोलन के दौरान हटाए गए आउटसोर्स और संविदा कर्मचारियों काे भी ब्लैक लिस्टेड की सूची से हटाकर उन्हे दोबारा सेवा में लिया जाए.