भोपाल।आदेश में कहा गया है कि किसी भी मामले में जेल में बंद आरोपी या कैदी की रिहाई के लिए यदि कोई जमानत आदेश या रिहाई आदेश निजी व्यक्ति जेल लेकर पहुंचेगा तो उसके आधार पर आरोपी को रिहा नहीं किया जाएगा. यह आदेश फास्टर यानी फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रानिक्स रिकॉर्ड्स सिस्टम या फिर डाक से पहुंचने पर ही मान्य किया जाएगा.
ये है नियम :जेल विभाग ने नियमों में संशोधन किया है कि कोर्ट द्वारा जमानत आदेश दिए जाने पर यदि आदेश फास्टर से जेल पहुंचता है तो आरोपी का रिहा करने के लिए अधीकृत व्यक्ति उप अधीक्षक होगा. यदि उप अधीक्षक मौजूद नहीं है तो सहायक अधीक्षक भी उसे रिहा कर सकेगा.