जबलपुर।भोपाल गैस त्रासदी के मामले में स्वास्थ्य और पुनर्वास को लेकर जिन अधिकारियों ने लापरवाही बरती, उनके खिलाफ हाई कोर्ट की अवमानना का केस चला और वह दोषी पाए गए. बुधवार को इन अधिकारियों के खिलाफ सजा तय होनी थी. लेकिन इससे पहले इन अधिकारियों ने सजा पर विचार करने के लिए आवेदन दिया. कोर्ट ने आवेदन स्वीकार करके इस मामले को अगली सुनवाई के लिए तिथि तय की है. बता दें कि साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ितों के मामले में महिला उद्यमी संगठन ने एक जनहित याचिका दाखिल की थी.
आदेश के बाद भी हीलाहवाली :याचिका में इस बात पर चिंता जाहिर की गई थी कि भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित और उनके परिजन अभी भी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भोग रहे हैं और उनके इलाज और पुनर्वास की पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं हो पा रही हैं. कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि भोपाल गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य और पुनर्वास को लेकर व्यवस्था की जाए. इसके लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई थी. जिसमें मध्य प्रदेश सरकार के इन अफसरों को हर 3 महीने में प्रोग्रेस रिपोर्ट कोर्ट में देनी थी. लेकिन लंबे समय तक भोपाल गैस त्रासदी के अस्पतालों में ही डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो पाई. सथ ही कोर्ट ने मॉनिटरिंग कर रहे अधिकारियों को दोषी माना कि कोर्ट के आदेश के बाद भी पुनर्वास और स्वास्थ्य की व्यवस्था नहीं की.
मुकदमा चलाने का आदेश :जबलपुर हाई कोर्ट ने अधिनियम 1971 की धारा 2 के तहत इन अफसरों पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया था. बुधवार को इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई हुई और अवमानना के दोषी अधिकारियों ने कोर्ट में आवेदन दिया कि उन्हें सजा सुनाने की पहले उनके आवेदन पर विचार किया जाए. कोर्ट ने इन अधिकारियों के आवेदन देखने के बाद 19 फरवरी को इस मामले की अगली सुनवाई रखी. जिसमें इन अधिकारियों के खिलाफ सजा तय की जाएगी.