भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने क्षेत्र बुधनी विधानसभा क्षेत्र में अजेय रहे हैं, उन्होंने 1980 के बाद से यहां से चुनाव लड़ा है और 2006 के बाद से उन्होंने यहां से चारों बार चुनाव लड़कर 60 प्रतिशत और उससे अधिक वोटों से जीत हासिल की है. लेकिन इस बार का बुधनी चुनाव थोड़ा अलग दिखाई दे रहा है. दरअसल लंबे समय से बीजेपी के सीएम चेहरे पर वोट मांग रही पार्टी ने इस बार केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और प्रह्लाद पटेल सहित 7 लोकसभा सदस्यों को मैदान में उतारा है.
संकेत ये भी मिले हैं कि भाजपा ने राज्य के शीर्ष पद के लिए विकल्प खुले रखे हैं और मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले चौहान डिफॉल्ट पसंद नहीं हो सकते हैं. जब 2005 में विदिशा से लोकसभा सदस्य चौहान मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने तत्कालीन भाजपा विधायक राजेंद्र सिंह द्वारा यह सीट खाली करने के बाद हुए उपचुनाव में राज्य की राजधानी से लगभग 65 किमी दूर और भोपाल संभाग के हिस्से बुधनी से जीत हासिल की थी. इससे पहले, चौहान ने 1990 में बुधनी से विधानसभा चुनाव जीता था. हालांकि भाजपा ने उन्हें 1991 में विदिशा लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था, जब पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद के निचले सदन में लखनऊ सीट बरकरार रखने के लिए वहां से इस्तीफा दे दिया था. 2013 में भाजपा के एक प्रमुख ओबीसी चेहरे, चौहान ने कांग्रेस के महेंद्र सिंह चौहान को 84,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया, जो 2018 में घटकर लगभग 59,000 हो गया जब कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को मैदान में उतारा, जो कि एक ओबीसी भी हैं.
बुधनी की जनता लड़े चुनाव:'मामा' उपनाम से फेमस सीएम चौहान के खिलाफ कांग्रेस ने इस बार चौहान के मुकाबले के लिए बुधनी से टीवी अभिनेता विक्रम मस्तल को मैदान में उतारा है, जिन्होंने एक धारावाहिक में हनुमान की भूमिका निभाई थी. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि कांग्रेस ने एक हल्के उम्मीदवार को मैदान में उतारकर चौहान के लिए मुकाबला कम कर दिया है, जो राजनीति और निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के लिए नया है. यह तब स्पष्ट हुआ जब इस सप्ताह की शुरुआत में अपना नामांकन दाखिल करने से पहले चौहान ने बुधनी के मतदाताओं से कहा कि वे(जनता) उनके लिए चुनाव लड़ें, क्योंकि वह पूरे राज्य में प्रचार करेंगे.
सीएम पद पर शिवराज का कितना रोल?बता दें कि भाजपा ने इस बार शिवराज को अपना सीएम चेहरा बनाने से परहेज किया है, इसका नवीनतम संकेत 17 नवंबर के चुनावों के लिए सात सांसदों और एक पार्टी महासचिव को मैदान में उतारने के फैसले से मिल रहा है. इस साल अगस्त में मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जब पूछा गया कि अगर चुनाव के बाद भाजपा सत्ता बरकरार रहती है तो क्या चौहान सीएम बने रहेंगे, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया था. शाह ने कहा था कि "आप(मीडिया) पार्टी का काम क्यों कर रहे हैं? हमारी पार्टी अपना काम करेगी. शिवराज जी सीएम हैं और हम चुनाव में हैं. पीएम मोदी और शिवराज जी के विकास कार्यों को जनता तक ले जाएं और अगर कांग्रेस ने कोई विकास किया है तो उसे भी उजागर करें."