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ओलंपिक में जुमला-घोषणा फेंक प्रतियोगिता होती तो मोदी-शिवराज देश के लिए जरूर जीतते 'सोना'- कांग्रेस

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Published : Jul 28, 2021, 12:16 PM IST

Updated : Jul 28, 2021, 5:12 PM IST

भारत में इन दिनों टोक्यो ओलंपिक का खुमार सिर चढ़ कर बोल रहा है. एमपी कांग्रेस ने भी ओलंपिक का फायदा पीएम मोदी और सीएम शिवराज पर निशाना साधने में उठाया है. कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा, "ओलंपिक में भाला फेंक की जगह जुमला फेंक और घोषणा फेंक प्रतियोगिता होती तो साहेब और शवराज जरूर मेडल पाते."

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भोपाल न्यूज

भोपाल। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय धुरंधर खिलाड़ी अपने-अपने मुकाबले खेल रहे हैं. ऐसे में किसी के सिर जीत का ताज, तो किसी को हार का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच प्रदेश कांग्रेस ने पीएम मोदी और सीएम शिवराज को लेकर ट्वीट कर लिखा कि ओलंपिक में अगर भाला फेंक की जगह जुमला फेंक और घोषणा फेंक प्रतियोगिता होती तो साहेब और शिवराज जरूर मेडल जीत जाते.

दरअसल, प्रदेश कांग्रेस ने ट्वीट कर लिखा, "ओलंपिक में भाला फेंक की जगह जुमला फेंक और घोषणा फेंक प्रतियोगिता होती तो साहेब और शवराज जरूर मेडल पाते."

पेगासस को लेकर बीजेपी पर हमलावर है कांग्रेस
वहीं दूसरी ओर इन दिनों पेगासस मामले को लेकर कांग्रेस लगातार बीजेपी को लेकर आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए है. कांग्रेस, बीजेपी को लगातार कटघरे में खड़ा कर रही है. हाल ही में कमलनाथ ने पेगासस जासूसी को लेकर केन्द्र सरकार पर जमकर हमला बोला था. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस पर पलटवार किया. कहा कि कमलनाथ जिस तरह से बता रहे हैं उससे लगता है की कमलनाथ पेगासस के ब्रांड एंबेसडर हैं.

नरोत्तम मिश्रा ने किया पलटवार
मिश्रा यहीं नहीं रुके उन्होंने कांग्रेस को गुंडों की पार्टी करार दिया. कहा- भारत को बदनाम करने वाले अब राष्ट्रवाद की बात कर रहे हैं कांग्रेस गुंडों की पार्टी है कोई राजनीतिक दल नहीं है. कमलनाथ द्वारा मध्यप्रदेश में बने रहने के बयान को लेकर गृह मंत्री ने कहा कि कमलनाथ के लिए यह चिंता और चिंतन का विषय है कि कांग्रेस से उन्हें मध्य प्रदेश से जाने के लिए कौन मजबूत कर रहा है. आखिर क्यों कमलनाथ बार-बार कह रहे हैं कि वह मध्यप्रदेश नहीं छोड़ेंगे.

क्या था कमलनाथ का बयान?
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई 2017 में इजरायल के दौरे पर गए थे. पेगासस जासूसी भी 2017 और 2018 में शुरू हुई. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में मोबाइल फोन कंपनियों के जरिए लाखों लोगों की निगरानी की गई है. कमलनाथ ने इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जस्टिस से कराने की मांग की और कहा कि सरकार विपक्षी नेताओं को विश्वास में ले. उन्होंने कहा कि जांच करने वाला जस्टिस भी वैसा होना चाहिए, जिसकी पहले से जासूसी न की गई हो.

Last Updated : Jul 28, 2021, 5:12 PM IST

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