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बासमती चावल के जीआई टैग पर पंजाब- एमपी में बवाल, बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस का पलटवार

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Published : Aug 6, 2020, 3:39 PM IST

पंजाब की कांग्रेस सरकार ने बासमती चावल के जीआई टैग मध्य प्रदेश को मिलने पर आपत्ति जताई है. जिस पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि, कमलनाथ को कांग्रेस को समझाना चाहिए और यह भी बताना चाहिए की, वो किसके साथ हैं. नरोत्तम मिश्रा के सवालों पर अब कांग्रेस ने पलटवार किया है. पढ़िए पूरी खबर.

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बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस ने किया पलटवार

भोपाल। बासमती चावल के जीआई टैग को लेकर पंजाब की कांग्रेस सरकार और एमपी की शिवराज सरकार आमने- सामने आ चुकी हैं. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा द्वारा कांग्रेस पर किए गए हमले के बाद कांग्रेस ने उनके आरोपों पलटवार किया है. एमपी कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा पर निशाना साधते हुए कहा कि, मध्य प्रदेश सरकार के गृहमंत्री ने जी आई टैग को लेकर जो बयान दिया है, वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. उन्हें इस बात का जवाब जनता को देना चाहिए.

बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस ने किया पलटवार

भूपेंद्र गुुप्ता ने कहा कि, एमपी को जीआई टैग देने का विरोध पंजाब के अलावा दूसरे राज्य भी कर रहे हैं, जहां बीजेपी की सरकारें हैं, लेकिन बीजेपी सिर्फ सियासी फायदा लेने के लिए पंजाब का विरोध कर रही है. इससे पहले नरोत्तम मिश्रा ने कहा था कि, कांग्रेस हमेशा किसान विरोधी रही है. पंजाब की कांग्रेस सरकार प्रदेश के किसानों पर कुठाराघात कर रही है.

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भूपेंद्र गुप्ता ने पूछे ये सवाल

कांग्रेस नेता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि, 'जब 2015 में एपीडा में बासमती के जीआई टैग का विरोध किया, तो केंद्र में किसकी सरकार थी, तब मुख्यमंत्री चुप क्यों थे, क्योंकि मोदी सरकार ने उसे खारिज किया, जब मद्रास हाई कोर्ट में केस हारे, तब इनके मुंह में आवाज क्यों नहीं निकली, आज आवाज उठा रहे हैं, आज हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पास बासमती का जीआई टैग है, जो आप का विरोध कर रहे हैं, यहां तो सब जगह बीजेपी की सरकार है, उनकी आवाज क्यों नहीं उठा रहे हैं, अरविंदर सिंह ने पत्र लिख दिया, तो हल्ला मचाने लग गए, अदालत के मामले का राजनीतिकरण किया जा रहा है, यह बेशर्मी और कानून के साथ खिलवाड़ है'.

बीजेपी नेताओं पर लगाया ये आरोप

भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि, 'यह अदालत का मामला है, आप अदालत में जाइए और अपना पक्ष रखिए, अपना पक्ष ठीक ढंग से रख नहीं पा रहे हैं और कांग्रेस-कांग्रेस कर रहे हैं'. भूपेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाए कि 'मध्य प्रदेश की सरकार में बैठे कुछ लोगों के हित हैं, जो पंजाब के व्यापारियों से उनकी सांठगांठ है. मंडीदीप वाले इलाके में चावल पैदा करते हैं और उसे पंजाब ले जाकर पैकिंग कर 4 गुने दामों पर बिकवाते हैं. इसलिए ये नहीं चाहते हैं कि, मध्यप्रदेश को जीआई टैग मिले. इसलिए केस को ढंग से अदालत में नहीं रखते हैं. प्रदेश सरकार को सोचना चाहिए कि, वो वास्तव में मध्य प्रदेश के किसानों का भला करना चाहती है, कि नहीं, अच्छे से केस लड़ेगी, तो जरूर जीतेंगे.

'अदालत के मामलों का राजनीतिक ना करें'

भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि, 'स्थानीय स्तर पर बहुत सारे उत्पादों को जीआई टैग मिले हैं. मध्य प्रदेश में 5 से 6 जीआई टैग मिले हुए हैं. अगर सरकार उसको मध्य प्रदेश के बासमती के आधार पर आगे बढ़ती है, तो केस जीत जाएगी. अगर कोई सलाह की जरूरत है तो, कांग्रेस के कृषि विशेषज्ञ बीजेपी को सलाह देंगे, लेकिन सलाह उन्हें सार्वजनिक रूप से मांगनी चाहिए'. भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि 'अदालत के मामलों का राजनीतिक ना करें. ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, मैं इसकी निंदा करता हूं'.

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग न देने की मांग करते हुए पंजाब के सीएम अमरिंद सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है कि, इससे पाकिस्तान को फायदा होगा, पंजाब के सीएम के इस पत्र का आज मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर विरोध किया, उन्होंने कहा कि, 'मैं पंजाब की कांग्रेस सरकार द्वारा मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग देने के मामले में प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की निंदा करता हूं और इसे राजनीति से प्रेरित मानता हूं'.

शिवराज ने एक दूसरे ट्वीट में लिखा कि, मैं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से यह पूछना चाहता हूं कि, आखिर उनकी मध्य प्रदेश के किसान बन्धुओं से क्या दुश्मनी है, यह मध्य प्रदेश या पंजाब का मामला नहीं, पूरे देश के किसान और उनकी आजीविका का विषय है. सीएम शिवराज ने ट्वीट में यह भी कहा कि, मध्य प्रदेश को मिलने वाले जीआई टैगिंग से अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत के बासमती चावल की कीमतों को स्टेबिलिटी मिलेगी और देश के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. मध्य प्रदेश के 13 जिलों में 1908 से बासमती का उत्पादन हो रहा है, इसका लिखित इतिहास भी है.

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