भोपाल।वर्ष 2013 से 2018 तक भाजपा से आदिवासी वोट बुरी तरह छिटक चुका था. इसे वापस पाने की तड़प वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान में देखी जा सकती है, लेकिन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन इनके पेसा एक्ट को नकली बता रहा है. जयस के प्रदेश संरक्षक डॉ. ओहरी ने कहा कि, शिवराज का पेसा एक्ट उनकी मांग अनुरूप नहीं है. इसके बाद भी जो एक्ट लागू किया है. यदि वह ठीक ढंग से लागू कर दिया जाएगा तो निश्चित तौर पर आदिवासियों को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि, सरकार ने जिन अफसरों को जिम्मा दिया. उन्हें पता ही नहीं है कि इसमें प्रावधान क्या हैं और कैसे लागू करना है. इसका उदाहरण देते हुए बताया कि रतलाम में बिना पंचायत की अनुमति के आदिवासी युवाओं पर ही एट्रोसिटी एक्ट दर्ज करवा दिया, जबकि पेसा एक्ट में पंचायत की अनुमति जरूरी है. जयस नेता ने पेसा एक्ट को बेहतर बताया और कहा कि शिवराज सिंह ने जिन अफसरों को जिम्मा दिया, उनको पता ही नहीं कि कैसे लागू करें. साथ ही कहा कि हम कांग्रेस की बी पार्टी नहीं, भाजपा अच्छा ऑफर देगी तो हम उनके साथ भी जाएंगे.
हम कांग्रेस की बी पार्टी नहीं: डॉ. ओहरी ने खुले तौर पर कहा कि, हमारे ऊपर आरोप लगते हैं कि कांग्रेस की बी पार्टी है. ऐसा हीरालाल अलावा के कारण होता है, लेकिन भाजपा हमारी शर्त अनुसार हमारी मांग मानकर हमें ऑफर करती है तो हम उनके साथ जाएंगे. उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में हमने जयस बनाकर आदिवासी मांगों पर आंदोलन शुरू किया और तब हम सरकार के विरोध में थे तो कांग्रेस ने हमसे बातचीत की. उन्होंने जयस को 20 सीटें देने की बात कही थी, लेकिन दी सिर्फ मनावर. यह हमारे साथ कांग्रेस का धोखा है. इसलिए इस बार हमने दरवाजे खुले रखे हैं. हालांकि वे यह बोलने से नहीं चूके कि भाजपा में जाकर व्यक्ति अपने समाज के अधिकारों की बात नहीं कर पाता है और वह रबर स्टांप बनकर रह जाता है.
47 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव:डॉ. ओहरी बोले कि हम इस बार सभी 47 सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारेंगे. इसके लिए हमारे पढ़े लिखे युवाओं ने तैयारी शुरू कर दी है. हमारे तीन बड़े मुद्दे हैं. पहला यह कि पेसा एक्ट जो कि हमारा संवैधानिक अधिकार है हमको पूर्ण रूप से दिया जाए. अभी आधा अधिकार पुलिस और प्रशासन के पास है। युवाओं को राेजगार दिया जाए और महिलाओं को सुरक्षा दी जाए.
आदिवासी के साथ पिछड़ा बाहुल्य पर नजर:मध्यप्रदेश में जयस की गतिविधियां 47 रिजर्व सीटों के साथ पिछड़ा वर्ग बाहुल्य सीटों पर भी है. 55 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में ग्राऊंड स्तर पर मजबूती के साथ बूथ स्तर की कमेटी बना ली गई है. मार्च आखिर तक 80 विधानसभा सीटों पर हर बूथ पर कमिटी बनाने का टारगेट पूरा कर लिया जाएगा. मुद्दे होंगे पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून, बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी, अत्याचार आदि. गौरतलब है कि अभी मप्र में 47 में से कांग्रेस के पास 30 और भाजपा के पास 16 सीटें ही हैं. जबकि वर्ष 2013 के चुनाव में कांग्रेस के पास 15 और भाजपा के पास 31 सीटें थी.
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यह हैं प्रमुख मांगे:
- पेसा कानून के परम्परागत ग्राम सभाओं को सशक्त कर अनुसूचित क्षेत्रों में रूढ़ी-जन्यसंहिता को लागू किया जाए. पेसा मोबलाइजर्स के लिए रूल्स एवं रेगुलेशन बनाना और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में वर्तमान जनसंख्या को देखते हुए नए अनुसूचित क्षेत्रों का गठन किया जाए.
- प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों मे विकास के लिए अनुच्छेद 275(1) आदिवासी उपयोजना की राशि खर्च करने के लिए नए नियम बनाया जाए.
- PSC 2019 के मेंस निरस्त करने के निर्णय पर पुनर्विचार कर जल्द से जल्द साक्षात्कार की तारीख की घोषणा की जाए एवं ओवर एज हो चुके स्टूडेंट्स को राहत दिया जाए. प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करें और आदिवासी क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए स्थानीय स्तर रोजगार देने की नई नीति बनाया जाए.
- ST/SC विरोधी बैकलॉग के नये ड्राफ्ट को अविलंब निरस्त किया जाए और अविलंब बैकलॉग पदों को भरा जाए.
- मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सा शिक्षा, आयुष, उच्च शिक्षा समेत अन्य विभागों में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित बैकलॉग/पदोन्नति पदों को नियमों की अवमानना कर गैरसंवैधानिक तरीके से अनारक्षित में कनवर्ट कर सामान्य सदस्य से की गई पूर्ति को अविलंब निरस्त कर अनुसूचित जनजाति सदस्य पूर्ति किया जाए.
- प्रदेश के हजारों अथिति शिक्षिको, प्रोफेसरों के लिए वार्षिक रोस्टर बनाकर रेगुलेशन बनाना और चतुर्थ श्रेणी की आउटसोर्स भर्ती पर अविलंब रोक लगाई जाए ताकि एसटी/एससी वर्ग के आरक्षण से हो रही खिलवाड़ पर रोक लग सके.
- प्रदेश में मांझी, मीणा, मानकर, धनगर, यादव, साहू, कुशवाह, लोधी और नायक समाज के साथ और अन्य पिछड़ावर्ग के विकास के लिए नई नीतियां बनाई जाए.