भोपाल। मध्यप्रदेश में भीषण गर्मी के बाद एक बार फिर मानसून सक्रिय हो रहा है. बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम का असर मध्य प्रदेश में दिखने लगा है. इसके अलावा झारखंड से आंध्र प्रदेश तक टर्फ लाइन गुजर रही है जो मानसूनी बारिश की ओर इशारा कर रही है. बुधवार शाम से ही मध्य प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में बादल छाए रहे. साथ ही कुछ क्षेत्रों में हल्की बूंदा-बांदी भी देखने को मिली है.
करीब 15 दिनों के ब्रेक के बाद एक बार फिर झमाझम बारिश का दौर मध्यप्रदेश में शुरू होने जा रहा है. बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम का असर मध्यप्रदेश में देखने को मिलेगा. जिससे 8 से 17 जुलाई तक लगातार मानसूनी गतिविधियां जारी रहेंगी.
पूरे मध्यप्रदेश में सक्रिय रहेगा मानसून
मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि 17 जुलाई तक पूरा MP तरबतर हो जाएगा. जून के महीने में ग्वालियर, इंदौर संभाग में सामान्य बारिश देखने को मिली थी तो पूरी संभावना है कि इस बार ये अंचल सूखे नहीं रहेंगे. तेज और मूसलाधार बारिश से सीधा साक्षात्कार ग्वालियर और इंदौर संभाग के लोगों का भी होगा.
वहीं, भोपाल में मूसलाधार बारिश तो नहीं होगी लेकिन बादलों का डेरा जमा रहेगा, जिसके चलते तापमान में गिरावट देखने को मिलेगी.
बंगाल की खाड़ी में 11 जुलाई से बंद रहा कम दबाव का क्षेत्र
मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश के अनुसार बंगाल की खाड़ी में 11 जुलाई से एक कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है. जिसके चलते 11 जुलाई से 17 जुलाई तक पूरे मध्यप्रदेश में बारिश के आसार है. वहीं, आगामी 12 से 15 जुलाई के बीच भारी बारिश हो सकती है.
...और ग्वालियर, इंदौर ने तोड़े सभी रिकॉर्ड
मौसम विभाग के मुताबिक जुलाई का सामान्य बारिश कोटा आने वाले इन 8 दिनों में ही पूरा हो जाएगा. इंदौर और ग्वालियर वालों को इस मानसूनी मौसम में भी भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा . मौसम विभाग की मानें तो इसने पिछले एक दशक से ज्यादा का रिकॉर्ड तोड़ दिया. मानसूनी मौसम में ग्वालियर का अधिकतम तापमान 44 डिग्री पहुंचा, जो 12 साल बाद देखने को मिला.
ग्वालियर में टूटा 12 साल का रिकॉर्ड वहीं इंदौर में 6 साल बाद दूसरी बार 36 डिग्री तक तापमान पहुंच गया. मौसम विभाग का कहना है कि मानसूनी गतिविधियां में लगे ब्रेक के चलते तापमान में बढ़ोतरी हुई और इसका असर ग्वालियर ,इंदौर ,भोपाल जबलपुर और उज्जैन संभाग में दिखा.
किसानों को सलाह
मौसम विभाग ने आने वाले समय के लिए सोयाबीन और धान की बुवाई को लेकर भी भविष्यवाणी की है. विभाग की सलाह है कि अगर किसान भाइयों ने अभी बुवाई नहीं की है तो सोयाबीन के लिए 12 जुलाई और धान के लिए 11 जुलाई तक का इंतजार करें. तर्क है कि रूक कर बुआई से फसलों को पर्याप्त समय और बारिश मिल सकेगी.