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एक्सपर्ट्स की राय इन 5 वजहों से सेकेंड डोज में पिछड़ा एमपी, लोग भी बोले सरकार की प्लानिंग में कमी - एमपी में वैक्सीनेशन का सेकेंड डोज

ईटीवी भारत ने मेडिकल एक्सपर्ट, समाजसेवी और पहला डोज लगवा चुके लोगों से बातचीत की. इस दौरान सामने आईं पांच बड़ी वजहें, जिनके चलते वैक्सीन का पहला डोज देने में रिकॉर्ड बनाने वाला एमपी दूसरे डोज में फिसड्डी साबित हुआ है.

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सेकेंड डोज में पिछड़ा एमपी,

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Published : Jul 28, 2021, 9:05 PM IST

भोपाल। एक दिन में देशभर में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन कराकर रिकॉर्ड बना चुका मध्य प्रदेश दूसरे डोज के मामले में दूसरे राज्यों से पीछे है. दूसरा डोज लगाने के मामले में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश से आगे है. ऐसा क्यों और कैसे हुआ. ईटीवी भारत ने सरकारी अधिकारियों, मेडिकल एक्सपर्ट, समाजसेवी और प्लानर्स से बातचीत की. इस दौरान सामने आईं पांच बड़ी वजह. जिनकी वजह से पहले डोज में रिकॉर्ड बनाने वाला एमपी दूसरे डोज में फिसड्डी साबित हुआ है.

सेकेंड डोज में पीछ रहने की ये हैं 5 वजहें

सेकेंड डोज में पिछड़ा एमपी,

कारण 1 - कोविशील्ड के दो डोज के बीच 48 दिन का अंतर

मध्य प्रदेश में वैक्सीनेशन एक-एक दिन छोड़कर किया जाता है. सरकार ने हर रोज 10 लाख डोज लगाने का लक्ष्य है, लेकिन वैक्सीन की कमी सरकार के लक्ष्य के आगे आ रही है, जिसका खामियाजा आम लोग भुगत रहे हैं. दूसरे डोज के दौरान सबसे ज्यादा कोविशील्ड वैक्सीन की कमी सामने आई. कोविशील्ड के दोनो डोज के बीच में लगभग 84 दिन का अंतर रखा जाता है. इस वजह से जिन लोगों को पहले डोज के तौर पर कोविशील्ड की डोज लगाई गई थी, उन्हें दूसरे डोज के लिए 84 दिन का इंतजार करना पड़ा. प्रदेश के कई क्षेत्रों में वैक्सीन के लिए भगदड़ और मारपीट जैसी तस्वीर सामने आ चुकी है. सरकार पहले डोज के लिए तत्पर नजर रही है, लेकिन दूसरे डोज के लिए प्रदेश में उदासीनता नजर आ रही है.

सेकेंड डोज में पिछड़ा एमपी,

कारण 2- रिकॉर्ड पर ध्यान, दूसरे डोज को भूले

मध्य प्रदेश में 27 जुलाई तक लगभग 2 करोड़ 90 लाख वैक्सीन के डोज लगाए गए हैं. जिसमें 2 करोड़ 42 लाख लोगों को पहला डोज, तो मात्र 47 लाख लोगों को दूसरा डोज लग पाया है. आपको बता दें कि 1 दिन में 17 लाख लोगों का वैक्सीनेशन कर रिकॉर्ड बनाने वाले प्रदेश की सरकार के पास दूसरे डोज को लेकर न तो कोई प्लानिंग दिखाई दी और न व्यवस्था. इस दौरान कई जगहों से वैक्सीनेशन के दौरान भगदड़ मचने के मामले सामने आए. छिदवाड़ा और नीमच में हुई भगदड़ की घटनाओं ने प्रदेश को शर्मसार कराया. दूसरा डोज लगाने के मामले में महाराष्ट्र देश के सभी राज्यों से आगे है. 27 जुलाई दोपहर 2 बजे तक महाराष्ट्र में वैक्सीन के 4 करोड़ डोज लगाए जा चुके है. इसमें 3 करोड़ को पहला और 1 करोड़ लोगों को दूसरा डोज लगाया जा चुका है.

कारण 3 - सरकार ने नहीं की दूसरे डोज को लेकर कोई प्लानिंग

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17 लाख लोगों को पहला डोज लगवाकर वाहवाही लूटने वाली सरकार के पास दूसरे डोज को लेकर कोई प्लानिंग नहीं दिखी. प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री सेंकड डोज के वैक्सीनेशन में पिछड़ने के पीछे भी अजीब तर्क देते नजर आए. मंत्रीजी का कहना था कि प्रदेश में ज्यादातक लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई है. कोविशील्ड के दोनों डोज के बीच 84 दिन का अंतर होता है, इसलिए मध्यप्रदेश सेकेंड डोज के वैक्सीनेशन में पिछड़ गया है. मंत्रीजी का जवाब जानने के बाद यह सवाल उठता है कि क्या सरकार को यह पहले पता नहीं था कि कोविशील्ड के दूसरे डोज के बीच ज्यादा अंतर होता है. अगर पता था तो ज्यादा से ज्यादा कोविशील्ड क्यों लगवाई गई, कोवैक्सीन क्यों नहीं. कोवैक्सीन लगवाने से ज्यादातर लोगों को अभी तक दूसरा डोज भी मिल चुका होता. इसके साथ ही तीसरी लहर की आशंका भी कम से कम होती.

कारण 4- रिकॉर्ड के बाद, वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार

मध्य प्रदेश में हफ्ते में सिर्फ 4 दिन ही वैक्सीनेशन किया जा रहा है. ऐसा फॉर्मूला वैक्सीन की कमी से निपटने के लिए सरकार की तरफ से तय किया गया है. प्रदेश में सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शनिवार को ही वैक्सीनेशन किया जाता है. बीच के 1-2 दिन में सरकार के पास वैक्सीन का नया स्टॉक आ जाता है जिससे वैक्सीनेशन में कोई परेशानी नहीं आती है, लेकिन इस फॉर्मूले की वजह से प्रदेश में वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी है. मध्य प्रदेश डॉक्टर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और रिटायर डॉक्टर एसके सक्सेना कहते हैं कि सरकार की प्लानिंग में ही गड़बड़ी है. सक्सेना के अनुसार मध्यप्रदेश में साफ तौर पर देखने में आया है कि पहले डोज के लिए तो सरकार ने लोगों को ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेट किया, लेकिन प्लानिंग की कमी के चलते दूसरे डोज की वैक्सीन नहीं रखी.

कारण- 5 घटा दिए वैक्सीनेशन सेंटर

दूसरे डोज के लिए वैक्सीन की कमी और वैक्सीनेशन को लेकर अपनी नाकामी छुपाने के चक्कर में सरकार लगातार गलत कदम उठाती जा रही है. वैक्सीन की कमी है इसलिए वैक्सीनेशन सेंटर ही कम कर दिए गए हैं. इसका नतीजा यह हो रहा है कि जिन सेंटरों पर वैक्सीन लग रही है वहां लंबी-लंबी कतारें नजर आ रही हैं. सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए हर तरह के नए प्लान लेकर सामने आ रही है लेकिन ये कोई भी कामयाब नहीं हो रहे हैं. फिर चाहे हफ्ते में 4 दिन वैक्सीनेशन करना हो, 1 दिन कोविशील्ड और 1 दिन कोवैक्सीन लगाना हो या कुछ विशेष सेंटरों पर सिर्फ गर्भवती महिलाओं को ही वैक्सीन लगाना हो ये सारे उपाय सेकंड डोज के वैक्सीनेशन में इजाफा नहीं कर पा रहे हैं.

सेकेंड डोज में पिछड़ा एमपी,

कांग्रेस का आरोप ऐसे तो...नहीं हो सकता 100 फीसदी वैक्सीनेशन

इस मामले में कांग्रेस, मध्य प्रदेश सरकार के दिसंबर तक 100 फीसदी वैक्सीनेशन के लक्ष्य पर सवाल उठा रही है. कांग्रेस का आरोप है कि एमपी सरकार वैक्सीनेशन की तेजी बरकरार रखने में नाकाम साबित हुई है. सरकार सिर्फ झूठी वाहवाही लूटने में लगी है, जबकि जमीनी हकीकत से उसे कुछ लेना देना नहीं है. कांग्रेस का कहना है कि जिस रफ्तार से एमपी में वैक्सीनेशन हो रहा है उस तरह दिसंबर तक प्रदेश में 100 फीसदी वैक्सीनेशन होना मुमकिन नहीं है. कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि सरकार केंद्र से अपनी जरूरत के हिसाब से वैक्सीन के डोज नहीं मंगा पा रही है. इसके कारण प्रदेश वैक्सीनेशन में पिछड़ रहा है.

लोग परेशान, सरकार बहाने ढूंढ रही है

मध्यप्रदेश में मात्र 47 लाख लोगों को ही दूसरे डोज के टीके लगे हैं. यह देखने में तो भले ही सरकार की नाकामी नजर आती है, लेकिन आने वाले समय में इसे जनता को भुगतना होगा. साकेत नगर में रहने वाली संगीता ने 3 महीने पहले पहला डोज लगवाया था, लेकिन सेकंड डोज के लिए उनके पास अभी तक मैसेज नहीं आया है. ऐसे में वे परेशान हैं और तीसरी लहर के अंदेश को देखते हुए खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. की तीसरी लहर का अंदेशा है और वह अपने आप को सुरक्षित नहीं कर पा रही हैं. समाज सेविका साधना भदौरिया भी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहती हैं कि फर्स्ट डोज के समय रिकॉर्ड बनाने के लिए लोगों का वैक्सीनेशन तो करवाया, लेकिन सेकंड डोज की कोई व्यवस्था नहीं की और अब नाकाम साबित होने पर बहानेबाजी करने में लगी है.

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