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MP Budget 2022 : बजट में दिखेगी चुनाव की झलक, सभी वर्गों को साधने की तैयारी

मध्यप्रदेश बजट 2022 को लेकर शिवराज सरकार की तैयारी पूरी हो गयी है. बजट 9 मार्च को विधानसभा में पेश किया जाएगा. अधोसंरचना विकास के साथ बच्चे, महिला, किसान, कर्मचारी, मजदूर, कर्मचारी और व्यापारी वर्ग को साधने के जतन बजट के माध्यम से किए जाएंगे. क्योंकि 2023 मेंं विधानसभा चुनाव हैं. सरकार को मैदानी काम दिखाने के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 काफी महत्वपूर्ण है. (Madhyapradesh Budget 2022) (shivraj govt budget2022)

Madhya pradesh Budget 2022
मध्यप्रदेश बजट 2022

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Published : Mar 7, 2022, 4:08 PM IST

Updated : Mar 7, 2022, 5:41 PM IST

भोपाल। 9 मार्च को विधानसभा में पेश होने वाले बजट में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी की झलक दिखाई देगी. चुनावी मिशन 2023 से पहले के इस बजट में सरकार का पूरा जोर रहेगा कि सभी वर्गों को साधा जाए. नवाचार करते हुए पहली बार चाइल्ड बजट प्रस्तुत किया जाएगा. इस साल के बजट में सरकार स्थानीय मुद्दों के विकास पर सबसे ज्यादा फोकस करने की तैयारी में है. इसके लिए सरकार ने मौजूदा विधायकों से 15 करोड़ रुपये तक के विकास कार्यों का प्रस्ताव मांगा था. उन विकास कार्यों के लिए बजट में खास राशि का प्रावधान होगा. मतलब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार का यह बजट आम लोगों को अच्छे दिनों का एहसास कराने वाला हो सकता है. पिछली बार बजट में सरकार ने कोई टैक्स नहीं लगाया गया था. उम्मीद है कि सरकार इस बार भी कोई नया टैक्स नहीं लगाएगी.

कृषि और किसानों पर रहेगा फोकस

संभावना है कि कृषि और किसानों पर इस बजट में खासा फोकस होगा. फसल बीमा का लाभ किसानों को दिलाने के लिए बजट में राशि का प्रावधान हो सकता है. प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भी सरकार मुआवजा राशि बढ़ाने का प्रावधान कर सकती है. साथ ही कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर भी कुछ नए ऐलान हो सकते हैं. नर्मदा किनारे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार बजट में राशि का प्रावधान कर सकती है. प्रदेश में एक करोड़ 07 लाख किसान हैं. इनमें से 67 प्रतिशत के पास दो हेक्टेयर से कम भूमि है. सरकार का फोकस इन्हीं किसानों पर है. उनकी उपज खरीदने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का कार्यक्रम जारी रखा जाएगा. इसमें गड़बड़ी को रोककर वास्तविक किसानों को लाभान्वित किया जाएगा. कृषि उपकरणों की सहज उपलब्धता के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर का दायरा बढ़ाया जाएगा. इसमें ड्रोन सहित नए उपककरण हैं . प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए मार्केटिंग और ब्रांडिंग की व्यवस्था बनेगी. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए जीआइ टैग हासिल करने की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।

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श्रमिको को राहत मिलने के आसार

प्रदेश में कुशल और अर्द्धकुशल मजूदरों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए कौशल उन्नयन के कार्यक्रमों का विस्तार किया जाएगा. संबल योजना को नए स्वरूप में लागू करने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर चुके हैं. इसके दायरे में अन्य योजनाओं को लाया जाएगा. रोजगार सेतु पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत श्रमिकों को रोजगार दिलाने की पहल का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा.

पहली बार आएगा चाइल्ड बजट

प्रदेश में पहली बार चाइल्ड बजट प्रस्तुत किया जाएगा. इसमें सभी विभागों द्वारा बच्चों के ऊपर खर्च की जाने वाली राशि को एकजाई करते हुए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होगी. महिला एवं बाल विकास विभाग हर विभाग के लिए लक्ष्य निर्धारित करेगा. लाडली लक्ष्मी योजना के सकारात्मक परिणाम सामने आने पर अब इसके दूसरे चरण के लिए प्रविधान किए जाएंगे. इसमें उच्च शिक्षा के लिए छात्राओं को प्रोत्साहित किया जाएगा. 50 कॉलेजों का बहुसंकाय में उन्नयन करने के साथ संभागीय मुख्यालय पर उत्कृष्ट संस्थान की स्थापना की जाएगी. महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए स्व-सहायता समूह को नए क्षेत्रों से जोड़ा जाएगा. बैंकों से ऋण दिलाकर इन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाएगा.

कर्मचारियों व पेंशनर्स की बजट पर निगाहें

बजट में कर्मचारियों और पेंशनर का महंगाई भत्ता व राहत बढ़ाने के लिए 31 प्रतिशत के हिसाब से विभागों के बजट में प्रावधान होगा. वेतन में तीन प्रतिशत की वृद्धि के हिसाब से राशि आरक्षित रखी जाएगी. केंद्र सरकार की तुलना में राज्य के कर्मचारियों को आठ प्रतिशत महंगाई भत्ता कम मिल रहा है. इसके लिए प्रावधान किया जाएगा. केंद्रीय कर्मचारियों की तुलना में राज्य कर्मचारियों को 11 फ़ीसदी कम डीए मिल रहा है. डीए बढ़ाने, पुरानी पेंशन लागू करने और प्रमोशन से जुड़े मुद्दों पर कर्मचारियों को बजट से खासी उम्मीद है.

उद्योग व व्यापारी जगत भी आस लगाए है

प्रदेश का व्यापारिक और उद्योग जगत भी इस साल के बजट से उम्मीद लगा कर बैठा है. उम्मीद है कि टैक्स से जुड़े विवादित मामले सुलझाने के लिए एकमुश्त समाधान योजना को लागू किया जा सकता है. साथ ही लाइसेंस रिव्यू हर साल कराने की व्यवस्था को बदलकर 5 साल में एक बार किये जाने की मांग पर सरकर गौर कर सकती है . पेट्रोल डीजल पर वेट कम होने और सस्ती बिजली की उम्मीद उद्योग जगत लगा कर बैठा है. व्यापारी वर्ग के करों से जुड़े लंबित मामलों को सुलझाने के लिए एकमुश्त समाधान योजना लागू करने के साथ भामाशाह योजना को निरंतर रखने की घोषणा बजट में की जा सकती है.

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सीपीए के काम करेगा पीडब्लूडी

मंत्रालय, विधानसभा भवन सहित शासकीय भवन के रखरखाव का कार्य सीपीए करता है. फिलहाल सीपीए के पास 566 रखरखाव और 100 निर्माण कार्य चल रहे थे. लेकिन मुख्यमंत्री के आदेश पर सीपीए को खत्म कर दिया गया है. सीपीए के सरकार भवन से जुड़े काम पीडब्लूडी को दिए जाएंगे. इसके साथ ही सीपीए के निर्माण कार्य से जुड़े अधिकारी कर्मचारी का संविलियन भी पीडब्ल्यूडी में किया जाएगा. नर्मदा जल उपयोग के लिए नर्मदा घाटी विकास संसाधन विकास और जल संसाधन की 12 सिंचाई परियोजना के लिए भी निविदा आमंत्रित की जा सकेगी. जिसमें 26000 करोड़ रुपए सिंचाई परियोजना को भी मंजूरी मिलने के आसार हैं.

स्थानीय विकास पर सरकार का जोर

इस साल के बजट में सरकार स्थानीय मुद्दों के विकास पर सबसे ज्यादा फोकस करने की तैयारी में है. इसके लिए सरकार ने मौजूदा विधायकों से 15 करोड़ रुपये तक के विकास कार्यों का प्रस्ताव मांगा था. उन विकास कार्यों के लिए बजट में खास राशि का प्रावधान होगा. इस बार चुनाव के कारण बजट का आकार बड़ा होगा. मतलब साफ है कि इस बार राज्य के बजट में आम लोगों को कई सौगातें मिल सकेंगी.

हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी मजबूत होगा

शिवराज सरकार का फोकस स्वास्थ्य हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने पर होगा. सरकार की कोशिश है कि प्रदेश के सभी प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स में डॉक्टरों की नियुक्ति हो. दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति सरकार के लिए चुनौती है. ऐसे में सरकार असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर के तौर पर आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और यूनानी डॉक्टर्स की भी तैनाती पर विचार कर रही है.

छोटी सड़कों के निर्माण पर जोर

सरकार बड़ी सड़कों के बजाय ग्रामीण इलाकों की छोटी-छोटी सड़कों पर ज्यादा फोकस करने जा रही है. आगामी चुनाव को देखते हुए बीजेपी विधायकों से 15-15 करोड़ रुपए के निर्माण कार्यों के प्रस्ताव सरकार ने लिए हैं। इसका प्रावधान बजट में किया जा रहा है. इससे स्पष्ट होता है कि बजट में ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर ध्यान दिया गया है. नर्मदा एक्सप्रेस-वे और चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण करने राशि का प्रावधान इस बजट में किया गया है.

ऋण माफी के लिए बजट में प्रावधान नहीं

कांग्रेस की सत्ता में वापसी का बड़ा आधार बनी किसानों की ऋण माफी योजना के लिए बजट में प्रावधान नहीं होगा. शिवराज सरकार ने प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों पर पड़े आर्थिक भार को देखते हुए वर्ष 2020-21 में 2 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया था. इसमें से 800 करोड़ रुपए समिति को दिए गए थे, लेकिन अब प्रावधान नहीं होगा. वर्ष 2021-22 के बजट में इस योजना के लिए सिर्फ प्रतीकात्मक राशि रखी गई थी. गौरतलब है कि सहकारी समितियों से हर साल लगभग 25 लाख किसान कर्ज लेते हैं.

इन पर भी हो सकता है फैसला

  • बजट में धार्मिक योजनाओं पर केंद्रित कुछ घोषणाएं हो सकती हैं. इसके लिए दो हजार करोड़ रुपए तक के प्रावधान संभावित हैं. गाय संवर्धन की योजनाओं पर फैसले लिए जा सकते हैं.
  • संबल योजना को बजट मिल सकता है.
  • मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना शुरू कर उसका बजट बढ़ाया जा सकता है.
  • ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की मूर्ति स्टेच्यू ऑफ वेलनेस के लिए बजट जारी हो सकता है.
  • महाकाल मंदिर परिसर के कायाकल्प के लिए बजट में प्रावधान हो सकता है.राम वनगमन पथ को लेकर भी बजट दिया जा सकता है.
  • गो-संवर्धन की नई योजना लाई जा सकती है.
  • आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश को वापस मिशन मोड में लिया जा सकता है.

कर्ज के बोझ तले दबा है मध्यप्रदेश

प्रदेश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है. केंद्र और राज्य स्तर पर कर की वसूली बढ़ी है. प्रदेश को वर्ष 2021-22 में केंद्रीय करों से 52 हजार 247 करोड़ रुपये मिलना अनुमानित था, लेकिन अब आठ हजार करोड़ रुपये अधिक मिलेंगे. इसके लिए केंद्र सरकार ने बजट में प्रावधान किया है. वहीं, केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा 63 हजार करोड़ रुपये कर दिया है.मध्यप्रदेश पर ढाई लाख करोड़ रुपे से ज्यादा कर्ज है.

बजट का बड़ा हिस्सा वेतन, पेंशन, भत्ते पर खर्च

प्रदेश को राजस्व के रूप में जो राशि प्राप्त होती है उसका लगभग 52 प्रतिशत हिस्सा वेतन-भत्ते, पेंशन और ब्याज की अदायगी पर खर्च होता है. वेतन, पेंशन और भत्ते पर सालभर में 60 हजार करोड़ रुपये के आसपास खर्च होते हैं. वहीं, ब्याज और कर्ज की किस्त चुकानें में 20 से 22 हजार करोड़ रुपये सालाना लगते हैं. द्वितीय अनुपूरक बजट में सरकार ने ब्याज अदायगी के लिए दो हजार 360 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.

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Last Updated : Mar 7, 2022, 5:41 PM IST

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