भोपाल। प्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रदेश सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं. उन्होंने एक बार फिर से सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखते हुए प्रदेश में संक्रमण को लेकर की जा रही जांच पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा है कि, जांच की रफ्तार काफी धीमी है जबकि इसे तेज गति के साथ किया जाना चाहिए, ताकि जितने भी लोग संक्रमित हैं उन्हें तत्काल उपचार दिया जा सके. इस दौरान उन्होंने कई देशों का उदाहरण देते हुए भी मांग की है कि, प्रदेश में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट से काम शुरू करना चाहिए. इसमें लागत भी कम आएगी और रिजल्ट जल्दी मिल सकेगा.
पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने पत्र के माध्यम से लिखा है कि, समूचा विश्व कोरोना वायरस महामारी से निजात पाने के लिए हर प्रकार के जतन कर रहा है. हमारे देश में भी हम इस महामारी को परास्त करने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. हमारे देश में सामूहिक रूप से लॉक डाउन का निर्णय लिया गया है, जिसके पीछे मूल कारण है कि, हम सोशल डिस्टेंसिंग से इस महामारी की चैन को तोड़ना चाहते हैं. समूचे विश्व ने इस बात को लेकर एक स्वर में स्वीकारा है कि, इस महामारी से वर्तमान में लड़ने का एक ही कारगर तरीका है. वह है अधिक से अधिक टेस्ट करना. लॉकडाउन तभी कारगर सिद्ध होगा, जब हम अधिक से अधिक संक्रमित लोगों का पता लगाकर उन्हें ठीक होने तक बाकी लोगों से दूर रखें.
कमलनाथ ने आगे पत्र में लिखा है कि, आज बड़े अफसोस की बात है कि विश्व के दूसरे देशों की तुलना में हमारे देश में काफी कम टेस्ट किए जा रहे हैं. देश में प्रति 10 लाख आबादी पर मात्र 121 टेस्ट किए गए हैं और मध्य प्रदेश का टेस्ट करने का रेट तो बेहद ही चिंताजनक है. 8 अप्रैल 2020 तक साढे़ सात करोड़ की आबादी पर मात्र 4056 टेस्ट किए गए हैं, जोकि प्रति 10 लाख की आबादी पर मात्र 55 टेस्ट आता है, देश के औसत का भी आधा. जबकि प्रति 10 लाख आबादी पर जर्मनी में 15730, स्विजरलैंड में 19807, नार्वे में 21009 टेस्ट किए गए हैं. इतना ही नहीं चिली जैसे छोटे से देश में भी यह आंकड़ा 3159 है.
कमलनाथ ने कहा कि, इसमें संदेह नहीं है कि वर्तमान में हो रहे RT-PCR टेस्ट अधिक प्रमाणिक हैं, उन्हें जारी रखना ही चाहिए मगर यह टेस्ट डीएनए पर काम करता है. यह टेस्ट कोविड-19 वायरस को पहले डीएनए में बदलता है, जिसमें समय भी अधिक लगता है और खर्च भी अधिक होता है. इस टेस्ट का 4500 के लगभग खर्च आता है, जबकि एंटीबॉडी टेस्ट में मात्र 30 मिनट का समय ही लगता है और इसमें कोई बड़े विशेषज्ञ की भी आवश्यकता नहीं होती है. उंगली पर से थोड़ा सा ब्लड सैंपल लेकर यह टेस्ट किया जा सकता है और इसका खर्च भी मात्र 300 रुपए ही आता है. इस टेस्ट को हमें प्राथमिक रूप से भोपाल और इंदौर जैसे शहरों में करना चाहिए, जहां संक्रमण तेजी से फैल रहा है. साथ ही संक्रमण संभावित जिलों को चिन्हित कर इस टेस्ट का उपयोग उन जिलों में भी शीघ्रता से प्रारंभ करना चाहिए, ताकि लॉकडाउन का प्रभावी उपयोग हो सके. पूर्व मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया है कि, प्रदेश में आधिकारिक जांच कराने के लिए RT-PCR टेस्ट के साथ-साथ रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट कराना प्रारंभ किया जाए.