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किसान आंदोलन: केंद्र सरकार से सार्थक चर्चा नहीं हुई तो दिल्ली कूच करेंगे किसान - कृषि कानून का विरोध

कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा सीमा पर किसानों का आंदोलन 8वें दिन भी जारी है. आज किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत होने वाली है. इसको लेकर भारतीय किसान यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि, अगर आज केंद्र सरकार से किसान संगठनों की होने वाली चर्चा में कोई हल नहीं निकला तो 4 दिसंबर को मध्यप्रदेश से भारी मात्रा में किसान दिल्ली की तरफ कूच करेंगे.

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Published : Dec 3, 2020, 7:50 AM IST

भोपाल। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा सीमा पर किसानों का आंदोलन 8वें दिन भी जारी है. आज किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत होने वाली है. किसान आंदोलन को लेकर मध्यप्रदेश में भी भारतीय किसान यूनियन की सक्रियता बढ़ गई है. बुधवार को ग्वालियर से सैकड़ों किसान दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा है कि, अगर 3 दिसंबर को केंद्र सरकार से किसान संगठनों की होने वाली चर्चा में कोई हल नहीं निकला, तो 4 दिसंबर को मध्यप्रदेश में भारी मात्रा में किसान दिल्ली की तरफ कूच करेंगे.

दिल्ली कूच करेंगे किसान
पहले भी मप्र से रवाना हो चुके हैं किसानों के जत्थेभारतीय किसान यूनियन की तय रणनीति के तहत किसान आंदोलन शुरू होने के बाद मध्य प्रदेश के किसान को आंदोलन के लिए गुपचुप तरीके से पहले भी दिल्ली भेजा जाता रहा है. इसी कड़ी में भारतीय किसान यूनियन की ग्वालियर इकाई के सैकड़ों किसान दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं. इसके अलावा आंदोलन की आगामी रणनीति को ध्यान रखते हुए भारतीय किसान यूनियन मध्य प्रदेश के किसानों को दिल्ली भेजने की व्यवस्था करेगा.


भारतीय किसान यूनियन ने भरी हुंकार
अभी तक कहा जा रहा था कि, किसान आंदोलन में हरियाणा, पंजाब, यूपी के किसान शामिल हुए हैं. इस पर भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि, 'अगर आपने मंदसौर का किसान आंदोलन देखा हो तो मालूम पड़ जाएगा कि, मध्य प्रदेश का किसान कितना क्रांतिकारी है'. इस दौरान उन्होंने कहा कि, 'अगर मध्य प्रदेश का किसान दिल्ली कूच कर गया, तो समझ लीजिए कि सरकार को घुटनों के बल लाकर रहेगा. हम सरकार को चेतावनी देते हैं कि, किसानों की बात को गंभीरता से लें. अन्यथा मध्य प्रदेश का किसान 4 तारीख को दिल्ली आकर सरकार को घुटनों के बल लाने का काम करेगा'.

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ग्वालियर से हजारों की संख्या में किसानों ने दिल्ली के लिए किया कूच

ग्वालियर जिले से हजारों की संख्या में किसान बुधवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं. ये किसान एकजुट होकर ट्रैक्टर ट्राली के जरिए दिल्ली जा रहे हैं. साथ ही 6 महीने का राशन पानी ले जा रहे हैं. वहीं दिल्ली के लिए रवाना हुए किसानों ने कहा कि, हर जगह से किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच रहा है. दिल्ली जा रहे किसानों में सबसे ज्यादा युवा शामिल हैं.

यह है मामला

केन्द्र सरकार के कृषि कानून के विरोध में 26 और 27 नवंबर को दिल्ली में किसान आंदोलन की घोषणा की गई थी. इस आंदोलन में देश के अन्य राज्यों से भी किसान पहुंच रहे हैं. आंदोलन में शामिल होने ग्वालियर, भिंड और मुरैना से किसान दिल्ली के लिए 25 नवंबर रात 2 बजे रवाना हुए थे. 26 नवंबर की सुबह 8 बजे धौलपुर के बाद नेशनल हाईवे-3 पर सैंया टोल के पास यूपी पुलिस ने किसानों के दल को रोक लिया, उन्हें आगे जाने ही नहीं दिया गया. जिस पर किसानों ने वहीं प्रदर्शन शुरू कर दिया. शुक्रवार सुबह किसानों ने फिर निकलने का प्रयास किया. जब नहीं निकलने दिया गया, तो किसानों ने हाईवे ही घेर लिया, जिससे कुछ ही समय में हाईवे पर धौलपुर से ग्वालियर तक जाम लग गया.

नए कृषि कानूनों का भारी विरोध

नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर जारी किसानों का आंदोलन शनिवार को और उग्र हो गया था. दिल्ली-हरियाणा सीमा पर हजारों प्रदर्शनकारी जमा हुए थे. पुलिस ने आगे बढ़ने नहीं दिया. आंदोलनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें भी की गई. किसानों ने भी अपने रास्ते की अड़चन को दूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने नाकाबंदी को हटाने के लिए एक ट्रक का इस्तेमाल कर पुलिस वाहन को टक्कर मार दी. दिल्ली पुलिस ने तब हल्के लाठीचार्ज का सहारा लिया. पहले दिल्‍ली पुलिस किसानों को स्‍टेडियमों में अस्‍थायी जेल बनाकर रखना चाहती थी, लेकिन दिल्‍ली सरकार के मंजूरी न देने पर उन्‍हें बुराड़ी मैदान में धरने की इजाजत दे दी गई. लेकिन किसानों ने बुराड़ी जाने से इनकार कर दिया, जिसके चलते सिंधु सीमा पर झड़प हो गई.

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