भोपाल।प्रदेश के इकलौते एम्स हॉस्पिटल में कोरोना काल में तैयार किए ऑक्सीजन प्लांट और दवा खरीदी के नाम पर जमकर बंटरबाट सामने आई है. एम्स अधिकारियों की मेहरबानी से ऑक्सीजन प्लांट के बुनियादी ढांचे के लिए स्वीकृत कार्यों में से 23 मदों के कार्य ही नहीं किए गए. इसी तरह एम्स में दवाओं की खरीदी मनमर्जी से की गई. जिसकी वजह से 14 लाख से ज्यादा की दवाओं का उपयोग ही नहीं किया जा सका और यह एक्सपायर हो रही हैं. सबसे ज्यादा गड़बड़ी मेरोपेनम इंजेक्शन को लेकर सामने आई है. (Bought unnecessarily medicines worth lakhs expired)
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11 हजार से ज्यादा इंजेक्शन फेंकना पड़ेःकार्यालय महानिदेशक लेखा परीक्षा (CAG) ग्वालियर द्वारा कराए गए एम्स के ऑडिट में दवाओं की खरीदी में गड़बड़ी सामने आई है. साल 2021-22 की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक एम्स प्रबंधन द्वारा खरीदी गई 14 लाख से ज्यादा दवाएं एक्सपायर हो गई. इनमें सबसे ज्यादा संख्या मेरोपेनम इंजेक्शन की है. आमतौर पर संक्रमण के दौरान एंटीबायोटिक के रूप में उपयोग आने वाले वाले 23 हजार 740 मेरोपेनम इंजेक्शन की खरीदी की गई. इनमें से 11 हजार 185 इंजेक्शन का उपयोग ही नहीं किया जा सका और यह एक्सपायर हो गए. इसके अलावा 169 कैथेटर, 22 हजार 843 टैबलेट, 416 सस्पेंशन भी एक्सपायर हो गए. (Had to throw more than 11 thousand injections)
बिना जरूरत खरीदी गईं लाखों की दवाईंयां एक्सपायर रजिस्टर में पुराने इंजेक्शन को बताया नया स्टॉकः वहीं एक्स के ड्रग आयटम्स के स्टॉक रजिस्टर में पुरानी दवाओं को नई खरीदी दिखाने का मामला सामने आया है. पता चला है कि जो दवाएं पहले खरीदी गई, उनका हॉस्पिटल में पहले डिस्ट्रीब्यूशन किया गया और कुछ समय बाद वहीं दवाएं वापस स्टोर में बुला ली गई. जिन्हें नई दवाएं बता दिया गया. ऑडिट रिपोर्ट में पता चला है कि 23 हजार मेरोपेनम इजेक्शन 1 जुलाई 2019 को स्टॉक में उपलब्ध थे. 25 मार्च 2020 को यह घटकर 13780 हो गए. इस बीच 5700 इजेक्शन को रिप्लेस किया गया और बाद में इन्हें नए इंजेक्शन दर्शाया गया. AG ऑफिस ने इसको लेकर कड़ी आपत्ति जताई है. उधर एम्स प्रबंधन ने तर्क रखा कि दवाओं की खरीदी 2018-19 में आउटसोर्स स्टाफ द्वारा की गई, जिसकी वजह से गड़बड़ी हुई है. (Old injection in register shown as new stock)
ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण में गड़बडीः पीएसए ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के लिए किए गए सिविल और बिजली के काम में भी गड़बड़ी मिली है. जांच में सामने आया है कि ठेकेदार द्वारा तकनीकी स्वीकृति के हिसाब से काम ही नहीं किया. ठेकेदार ने स्वीकृत मदों के कार्यों में से 23 मदों के काम ही नहीं किए. इसके लिए ठेकेदार द्वारा संशोधित तकनीकी स्वीकृति भी नहीं ली गई. इसके बाद भी एम्स के कर्ताधर्ता इसको लेकर आंख मूंदे रहे. (Irregularity in the construction of oxygen plant)