भोपाल:चैत्र शुक्ल नवरात्रि का पर्व इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में आ रहा है. 9 दिनों तक मां जगदंबा की विधि-विधान पूर्वक आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. पंडित विष्णु राजोरिया के मुताबिक चैत्र शुक्ल नवरात्रि का पर्व वासंती नवरात्र पर्व है. साल भर में सनातन धर्मावलंबी चार नवरात्र पर्व मनाते हैं, इनमें से दो प्रकट नवरात्र है जिनमें वासंती नवरात्र प्रमुख है. प्रतिपदा से लेकर नवमी तक इस नवरात्र के दौरान धर्मावलंबी साधना में लीन रहेंगे.
चैत्र शुक्ल नवरात्रि का पर्व इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में आ रहा है. 9 दिनों तक मां जगदंबा की विधि-विधान पूर्वक आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. पंडित विष्णु राजोरिया के मुताबिक चैत्र शुक्ल नवरात्रि का पर्व वासंती नवरात्र पर्व है. साल भर में सनातन धर्मावलंबी चार नवरात्र पर्व मनाते हैं, इनमें से दो प्रकट नवरात्र है जिनमें वासंती नवरात्र प्रमुख है. प्रतिपदा से लेकर नवमी तक इस नवरात्र के दौरान धर्मावलंबी साधना में लीन रहेंगे.
नवरात्रि में पहले दिन का ये है महत्व :नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना का दिन है. पंडित विष्णु राजोरिया के मुताबिक शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. वृषभ उनका वाहन है. दाहिने हाथ में कमंडल है और एक हाथ में पुष्प धारण किए हुए हैं. जो साधक किसी अटल कार्य के लिए मां शैलपुत्री की आराधना करते हैं तुमको अभीष्ट की प्राप्ति होती है. मां शैलपुत्री अत्यंत कृपामई देवी है. बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं. दुर्गा सप्तशती के पाठ, नवार्ण मंत्र के जाप से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है और मां विजय का आशीर्वाद देती हैं
शुरू होने वाली है नवरात्रि, देवी मां का आशीर्वाद पाने के लिये करें ऐसे तैयारी
नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना का दिन है. पंडित विष्णु राजोरिया के मुताबिक शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं. वृषभ उनका वाहन है. दाहिने हाथ में कमंडल है और एक हाथ में पुष्प धारण किए हुए हैं. जो साधक किसी अटल कार्य के लिए मां शैलपुत्री की आराधना करते हैं तुमको अभीष्ट की प्राप्ति होती है. मां शैलपुत्री अत्यंत कृपामई देवी है. बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं. दुर्गा सप्तशती के पाठ, नवार्ण मंत्र के जाप से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है और मां विजय का आशीर्वाद देती हैं.
चैत्र नवरात्रि की तिथियां और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त : 2 अप्रैल शनिवार से चैत्र नवरात्र शुरू हो जाएंगे. हिंदू पंचांग का विक्रम संवत् 2079 भी शुरू हो रहा है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि हिंदू नववर्ष का पहला दिन माना जाता है. चैत्र नवरात्र शुरू 10 अप्रैल, रविवार तक रहेंगे. इस बार रेवती नक्षत्र और तीन राजयोगों में नववर्ष की शुरुआत होना शुभ संकेत है. साथ ही नवरात्र में तिथि की घट-बढ़ नहीं होने से देवी पर्व पूरे 9 दिन का रहेगा. इस तरह अखंड नवरात्र सुख-समृद्धि देने वाली रहेगी. चैत्र नवरात्रि के लिए शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल की सुबह 6:22 बजे से सुबह 8:31 मिनट तक रहेगा. कुल अवधि 2 घंटे 09 मिनट की रहेगी. इसके अलावा घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:08 बजे से दोपहर 12:57 बजे तक रहेगा.
ऐसे करें कलश स्थापना : नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान करने के बाद मंदिर के आसपास जहां कलश स्थापना करना हो, मिट्टी को वहां बिछाकर उसमें 'जौ' फैला दें. अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें. इसमें पानी भरकर कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें. इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर मौली से बांध दें, फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें. इस कलश को मिट्टी के पात्र के ठीक बीचोंबीच रख दें, जौ बोएं हैं. सबसे पहले भगवान गणेश को बुलाते हैं, सबसे पहले विघ्नहर्ता की पूजा होती है फिर पंचनाम देवताओं की पूजा के बाद मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है और फिर देवी का आवाहन किया जाता है, कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है. चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी प्रज्वलित करनी चाहिये. Chaitra navratri maa shailputri