भोपाल।मध्य प्रदेश सरकार ने कराधान अधिनियम के तहत वनोपज पर लगने वाले उपकर को बंद कर दिया, लेकिन इसके बाद भी वन विभाग इसके नाम पर वसूली करता रहा. वन विभाग ने 1 साल में उपकर के नाम पर 465 करोड़ रुपए की राशि वसूल कर डाली. यही नहीं राज्य शासन ने सीएजी को भी इसका विवरण नहीं सौंपा. विधानसभा के पटल पर रखी गई सीएजी की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है.
वन विभाग ने दिखाई करामात
मध्य प्रदेश सरकार ने मध्य प्रदेश कराधान अधिनियम 1982 के तहत वन उपज की आपूर्ति और बिक्री पर वन विकास उपकर पर जुलाई 2018 से तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. वर्ष 2017-18 के दौरान वन विकास उपकर के अंतर्गत 134.61 करोड़ की वसूली की गई थी. वर्ष 2018 19 के दौरान इसके अंतर्गत 465 करोड़ रुपए की वसूली की गई. इस दौरान अप्रैल 2018 से जुलाई 2018 तक 149 करोड़ और अगस्त 2018 से मार्च 2019 तक 316 करोड़ रुपए वसूले गए. वसूले गए उपकार के उपयोग के संबंध में राज्य शासन द्वारा सीएजी को सूचित ही नहीं किया गया.
व्यक्तिगत खातों में जमा है 3938 करोड़ की राशि
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक 309 व्यक्तिगत जमा खातों में 3794 करोड रुपए 1 साल से कम समय से बिना खर्च की पड़ी हुई है. इसी तरह 1 साल से ज्यादा समय लेकिन 3 साल से कम समय से 422 व्यक्तिगत खातों में 144 करोड रुपए की राशि बिना खर्च के पड़ी हुई है.