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Halak Ka Daroga: सिस्टम में रहकर सिस्टम के खिलाफ व्यंग्य लिखने वाले MP के एएसपी मलय जैन, इस बार बाबू निशाने पर

किसी भी बड़े प्रशासनिक पद पर रहते हुए व्यंग्य लिखना तलवार की धार पर चलने जैसा होता है. लेकिन भोपाल पुलिस ट्रेनिंग अकेडमी में बतौर डिप्टी डायरेक्टर (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक) पदस्थ मलय जैन ने ऐसा दूसरी बार किया है. उन्होंने पहली व्यंग्य में पटवारियों पर जमकर कटाक्ष किए थे, तो इस बार दफ्तरों के बाबुओं को निशाना बनाया है. इस बार धर्म, कर्म, समाचार पत्र, मार्केटिंग, फिटनेस फंडे आदि सभी पर जमकर चिकोटी ली है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में उन्होंने खुलकर कहा कि अब व्यंग्य कॉमेडियन लिखने लगे हैं, जो गुदगुदाते तो हैं, लेकिन चिकौटी नहीं लेते.

mp ASP Malay Jain took vyangya on babus
बाबूओं पर व्यंग्य

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Published : Mar 3, 2023, 3:13 PM IST

Updated : Mar 3, 2023, 4:35 PM IST

मलय जैन से खास बातचीत

भोपाल। गिरवी बाबू, बहती हुई गंगा और गणतंत्र. यह शीर्षक (tital) है एएसपी मलय जैन (malay jain) की पुस्तक “हलक का दारोगा” (Halak ka daroga) के एक व्यंग्य का. जिसमें बाबू का बखान इस कदर किया गया है कि पूरी बाबू बिरादरी चिढ़ जाए. लिखा है कि रकम, जमीन गिरवी रखवाकर उधार देना, सूद उगाहना, उगाही-उगाही के खेल में बरतन भांडे भी बिकवा देना ही नहीं, कपड़े तक उतरवा लेने के लिए जाने जाते थे गिरवी बाबू. इसके पहले मलय जैन अपनी पुस्तक में पटवारी व्यवस्था पर गहरा कटाक्ष कर चुके हैं.

पटवारियों पर कर चुके हैं कटाक्ष

8 साल पहले पटवारियों पर किया था कटाक्ष: 8 साल पहले लिखे अपने पहले व्यंग्य “ढाक के तीन पात” में उन्होंने लिखा था कि एक लाश जो दो थाना क्षेत्र की बाउंड्री पर लटकी सोच रही थी कि रस्सी टूटे और गिरुं तो मेरे कातिलों का पता चल सके. जिन दो थानों का जिक्र किया, उसमें एक का नाम गूगल गांव दिया था. इसमें एक करेक्टर का नाम पटवारी (Patwari) गोटीराम था और पटवारियों के लिए लिखा कि जिस जमीन को अच्छे बन्ने खां, फन्ने खां नहीं नाप सकते, उसे पटवारी चुटकियों में नाप देता है. वह चाहे तो दिशाओं को पलट सकता है. जमीन को आसमन और आसमान को जमीन, कुंए को खेत और खेत को कुआ, नाले को खेत और खेत को नाला, मैदान को पहाड़ और पहाड़ को मैदान बता सकता है. इस बात को लेकर तब विरोध भी हुआ था. इसे सोशल मीडिया पर अपलोड किया तो खासा वायरल हो गया, अब नया व्यंग्य संग्रह निशाने पर है.

पोस्टर में आत्ममुग्ध अफसर की इमेज:पोस्टर में एक महिला, पुलिस के डंडे पर टंगी हुई टोपी, कुर्सी, ऑक्टोपस, जमीन पर बैठा कुत्ता और उसकी पूछ सीधी करने के लिए बांधी गई लकड़ी दिखाई है. मलय जैन ने बताया कि पोस्टर में दी गई इमेज उसमें एक ऐसे आत्ममुग्ध अफसर की तरफ इशारा करता है, जो सिंहासन बत्तीसी पर बैठा है और उसके काम की तारीफ सिंहासन बत्तीसी की पुतलियां आकर करती हैं.

हलक का दारोगा ही क्यों?:हलक का दरोगा यानी जो हलक से नीचे निगलने ना दे और मुंह में निवाला डालो तो वह हलक में हाथ डालकर खींच ले. व्यंग में एक ऐसे अफसर की कहानी जो अपने मातहतों की खोपड़ी आचरण संहिता की ओखली में तब तक दिए रहता है, जब तक कर्मचारी नौकरी से तौबा न कर लें. ऑफिस मैनुअल के नाम पर उन्हें तब तक परेशान करता है जब तक कि वह तंग न आ जाएं. मलय जैन बताते हैं कि ऐसे केरेक्टर हर ऑफिस में मिल जाते हैं और इन्हीं को ध्यान में रखकर यह सटायर लिखा है. उन्होंने पुस्तक में स्कूल की पीटीएम, पुष्य नक्षत्र की मार्केटिंग, पंडित और मौलवी, छुट्टियों पर, भारतीय रेल, समाचार चैनल के विज्ञापन और खबर, फिटनेस फंडा आदि पर जोरदार कटाक्ष किए हैं.

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मलय जैन को मिल चुका है साहित्य अकादमी पुरस्कार:सागर में जन्मे मलय जैन का पैतृक स्थान झांसी है और उन्होंने बचपन से लिखना शुरू कर दिया था. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, बाल कृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार, रवींद्र नाथ त्यागी स्मृति सोपान पुरस्कार, सरदार दिलजीत सिंह रील व्यंग्य सम्मान, कमलेश्वर सम्मान और 2023 का अभिनव शब्द शिल्पी अलंकरण मिल चुका है. फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने मलय जैन को लेकर लिखा कि मलय शब्द से सिस्टम की चिकित्सा करते हैं.

Last Updated : Mar 3, 2023, 4:35 PM IST

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