भोपाल(Bhopal)। मेजर ध्यानचंद (DHYANCHAND) के नाम पर अब खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है. ऐसे में ध्यानचंद के नाम पर भोपाल में भी कई जगह है.भोपाल की इन्हीं जगह का जायजा ईटीवी भारत की टीम ने भी लिया और देखा कि उनके नाम पर आखिर भोपाल में क्या-क्या है.शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हॉकी प्रेमियों को तोहफा देते हुए खेल के क्षेत्र के सबसे बड़े पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल कर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी थी.
भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में ध्यानचंद हॉल
हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम पर अब खेल रत्न अवॉर्ड हो गया है.इसको लेकर एक ओर जहां विवाद चल रहा है और लोग नाम को लेकर संशय उठा रहे हैं.तो दूसरी ओर हम आपको बताते हैं कि केवल मेजर ध्यानचंद के नाम पर अवार्ड ही नहीं है.बल्कि मध्यप्रदेश के साथ देशभर में कई ऐसी जगह पहले से ही उनके नाम से कई स्टेडियम है.एक समय हॉकी में अपना जलवा दिखाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम पर भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में ध्यानचंद हॉल बनाया गया है. उनके नाम से जब से स्टेडियम बना है तभी से ही रखा गया है. जिसमें उस समय के ध्यानचंद की एक पेंटिंग भी लगाई गई है जिसमें वह खेलते हुए नजर आते हैं.
2011 में बना था ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम
इधर भोपाल में 2011 में बने एक स्टेडियम का नाम ही ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम रखा गया है.सेकंड स्टॉप पर बने इस स्टेडियम में कभी मेजर ध्यानचंद के पुत्र अशोक ध्यानचंद खिलाड़ियों को खेल की बारीकियां सिखाते थे.अभी इस स्टेडियम का रिनोवेशन चल रहा है और नई टर्फ यहां लगाई जानी है.लेकिन इसी स्टेडियम से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियो ने निकलकर दुनिया भर में अपना नाम कमाया है.
इधर भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में फिजिकल एजुकेशन विभाग का नाम भी ध्यानचंद के नाम पर रखा गया है तो मध्यप्रदेश के बैतूल में कैंसर का एक मिशन ही ध्यानचंद कैंसर मिशन के नाम पर जाना जाता है. तो यूपी के अयोध्या में एक ब्लड बैंक ही पूरी अशोक ध्यानचंद के नाम पर चल रहा है. वही राजस्थान में बुजुर्गों के लिए ओल्ड एज होम भी मेजर ध्यानचंद के नाम पर है.
जानिए ध्यानचंद के बारे में
ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज (तब के इलाहाबाद) में श्रद्धा सिंह और समेश्वर सिंह के यहां हुआ था. ध्यानचंद ब्रिटिश आर्मी में सैनिक थे और हॉकी में उनकी रुचि बचपन से ही थी. सिर्फ 16 साल की उम्र में वह ब्रिटिश सेना से जुड़ गए थे. 1922 से 1926 के बीच वह कई रेजिमेंट गेम्स और हॉकी टूर्नमेंट में खेलते रहे.
कैसा पड़ा ध्यानचंद नाम