भोपाल।लीलाबाई नाम की गैस पीड़ित महिला कैंसर रोग से ग्रसित है. वह अभी तक हजारों रुपये इलाज में ही खर्च करवा चुकी है, लेकिन तबियत में किसी तरह का सुधार नहीं हुआ है. लीलाबाई का कहना है कि, सरकार दावे तो बहुत करती है, लेकिन हकीकत इसके उलट है. गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाली रचना ढींगरा की मानें तो 16 सितंबर 2021 के मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने AIIMS को आदेशित किया और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी इस मामले में घोषणा कर चुके हैं. इसके बाद भी गैस राहत विभाग ने MOU साइन नहीं किया है.
इलाज के लिए मजबूर:रचना ढींगरा का कहना है कि, BPL कार्ड धारकों को लाभ नहीं मिल रहा है. वह आदेशों और घोषणाओं के बाद भी अपने कैंसर के इलाज के लिए हजारों रुपये लगाने को मजबूर है. गैस राहत विभाग और AIIMS भोपाल के बीच अभी भी MOU साइन नही होने की वजह से कैंसर ग्रसित गैस पीड़ितों का मुफ्त इलाज नही हो पा रहा है. 30 जनवरी को AIIMS और गैस राहत विभाग के बीच बैठक हुई और Standard Operating Procedure (SOP) बनाए गए पर आज भी गैस राहत विभाग ने MOU साइन नहीं किया.
नहीं हुई एमओयू साइन:दिसंबर 1984 की 2 और 3 तारीख की दरमियानी रात भोपाल में मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था. इस गैस रिसाव के चलते कई लोग काल के गाल में समा गए थे. कई लोग गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित हो गए. इनके समुचित इलाज की व्यवस्था के दावे सरकारों ने किए. इन गैस पीड़ितों में अधिकतर कैंसर रोग से पीड़ित लोग हैं. ऐसे में इनके समुचित इलाज की व्यवस्था के लिए गैस राहत विभाग और भोपाल एम्स के बीच एक एमओयू साइन होने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक नहीं हो पाई.