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न्यायिक जांच के आदेश के बाद बाल गृह पहुंची टीम, हमीदिया की बढ़ी सुरक्षा

भोपाल के हाईप्रोफाइल प्यारे मियां केस में नाबालिग की तबियत बिगड़ने को लेकर टीम जांच करने के लिए न्यायिक आदेश के बाद जांच करने बाल गृह पहुंची है.

Pyare Mian
प्यारे मियां

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Published : Jan 20, 2021, 5:31 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल में हाई प्रोफाइल प्यारे मियां मामले में न्यायिक जांच के आदेश हो चुके हैं. जिसके बाद अब एक टीम गठित कर बाल गृह भेजी गई. जहां पर बाल गृह की पूरी तरह से जांच की गई है. नाबालिग जहां रहती थी, उस कमरे में भी भोपाल एसपी, एडीएम सहित अन्य अधिकारी पहुंचे और उसकी जांच की है.

कैसे पहुंचती थी नाबालिग तक नशीली दवाई

जांच इस विषय पर होगी कि किस तरह से नाबालिग तक यह नींद की दवाई पहुंच रही थी. कैसे नाबालिग ने इस दवाई को इतनी सुरक्षा के बाद खाया और उसकी तबीयत बिगड़ गई. अब वह जिंदगी की आखिरी सांसे गिन रही है. वहीं इस मामले में न्यायिक जांच के भी आदेश कलेक्टर द्वारा कर दिए गए हैं.

हमीदिया हॉस्पिटल में बढ़ाई गई सुरक्षा

नाबालिग के परिजन और मामले की गंभीरता को देखते हुए हमीदिया अस्पताल में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. इसी क्रम में पुलिस बल अधिक संख्या में हमीदिया अस्पताल के सामने खड़ा कर दिया गया है.

साउथ एसपी,एडीएम,एसडीएम करने पहुंचे जांच

साउथ एसपी साईं कृष्णा, कोटा एडीएम, एसडीएम सहित कई अधिकारी वहां जांच करने पहुंचे. सभी नाबालिग बच्चियों के बैग भी टटोल गए है. वहीं उन्हें बाल गृह में किसी भी तरह की संदिग्ध वस्तु तो अभी हाथ नहीं लगी है,लेकिन जो नाबालिग पीड़िता है उसके बैग को अभी पुलिस खंगाल नहीं पाई है.

पढ़ें:प्यारे मियां यौन शोषण मामला: बाल गृह में रह रही नाबालिग की हालत गंभीर, अस्पताल में भर्ती

बाल गृह पर लगे गंभीर आरोप

नाबालिग की तबीयत बिगड़ने की सूचना जैसे ही परिजनों की मिली वे भी अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने बाल गृह पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं. नाबालिग की मां कहना है कि अगर उसकी बेटी ने कोई नशीली पदार्थ खाया है तो ये आया कहां से. बाल गृह में कैसे पहुंचा. जहां एक चॉकलेट नहीं पहुंच सकती है. वहां इस तरह की लापरवाही कैसे हुई.

बता दें आरोपी प्यारे मियां के खिलाफ नाबालिग बच्चियों से यौन शोषण के कई मामले दर्ज हैं. प्यारे मियां फिलहाल जेल में है. यह मामला जिला कोर्ट के पॉक्सो कोर्ट में चल रहा है. इस मामले में अभी बच्चियों की गवाही कोर्ट में होना है. हालांकि कोर्ट में सुनवाई नहीं होने के कारण लंबे समय से बच्चियां बाल गृह में रह रहीं हैं.

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