भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने चौथे कार्यकाल में प्रदेश की बुरी तरह से बिगड़ी आर्थिक व्यवस्था से जूझना पड़ रहा है. आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए सरकार को लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है. यहां तक की अब सरकार निजी क्षेत्रों से भी कर्ज लेने के लिए विवश हो रही है. आर्थिक स्थितियों के अलावा पार्टी में संतुलन बनाए रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. इसी संतुलन की वजह से शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार टल रहा है.
आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का सपना चुनौती भरा
मध्य प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का रोड मैप तैयार किया है. हालांकि विशेषज्ञों की माने तो आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के सपने को साकार करने में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक स्थिति की है. मध्य प्रदेश पर दो लाख करोड़ से ज्यादा का कर्जा हो चुका है और सरकार को जरूरी खर्चे चलाने के लिए भी लगातार बाजार से कर्जा लेना पड़ रहा है. पिछले नवंबर माह में ही सरकार ने करीब 4000 करोड़ों रुपए का बाजार से लोन लिया है. जनवरी से सरकार करीब 23 हजार करोड़ का कर्जा ले चुकी है. सूत्रों की मानें तो सरकार की माली हालत पहले से ही खराब थी. कोरोना काल से सरकार के राजस्व में भारी कमी आई है. जीएसटी में लगातार कमी के कारण सरकार आर्थिक संकट की स्थिति में है.
केंद्र से मिलने वाले राजस्व में भी कटौती हुई है. यही वजह है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य सकल घरेलू उत्पाद के 1 फीसदी और कर्ज की सीमा बढ़ाने की मांग की है. विशेषज्ञों की मानें तो आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के रोड मैप में निवेश से जुड़ी योजनाएं लागू करने में लेटलतीफी होना निश्चित है. कोरोना का संकट टला नहीं है और वैक्सीनेशन को बेहतर तरीके से मध्यप्रदेश में कराना सरकार के लिए एक बड़ा मुद्दा है.
शिवराज सरकार के सामने चुनौती पार्टी में अंदरूनी स्तर पर बनाना होगा संतुलन
विधानसभा उपचुनाव के बाद शिवराज सरकार भले ही बहुमत में आ गई हो, लेकिन पार्टी में अंदरूनी स्तर पर सामंजस्य बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा. यही वजह है कि शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार लगातार टल रहा है. मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थकों और पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेताओं को स्थान देने को लेकर कशमकश चल रही है. छह मंत्री पद के लिए करीब 15 से ज्यादा नेता दावेदारी कर रहे हैं. मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थकों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच संतुलन बनाना होगा. जल्द ही पंचायत और नगरी निकाय चुनाव होना है. सरकार की कोशिश है कि निकाय चुनाव के पहले मंत्रिमंडल और निगम मंडलों में नेताओं को एडजस्ट कर दिया जाए.
किसानों, दलितों को साधने की चुनौती
पूर्व कमलनाथ सरकार की किसान कर्ज माफी के मुद्दे पर प्रदेश में वापस हुई थी. प्रदेश की मौजूदा शिवराज सरकार ने सत्ता में आने के बाद किसान कर्ज माफी योजना का जवाब किसान कल्याण योजना से दिया है. इस योजना के तहत मध्य प्रदेश के किसानों को हर साल 4 हजार अतिरिक्त दिए जा रहे हैं. केंद्र के छह और राज्य के चार मिलाकर किसानों को कुल 10 हजार मिलेंगे. शिवराज सरकार द्वारा माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. कमलनाथ सरकार के समय माफियाओं के खिलाफ चलाई गई मुहिम को काफी सराहा गया था. हालांकि प्रदेश में दलितों के साथ लगातार हो रही घटनाएं सरकार की चुनौती बढ़ा रही है. पिछले दिनों गुना में 50 वर्षीय दलित की माचिस को लेकर हुए विवाद में हत्या कर दी गई. इसके पहले दतिया में दलित के घर को जलाने की घटना और छतरपुर में जमीन विवाद में दलित की हत्या हो चुकी है.
कांग्रेस ने छीने मुद्दे, अब भरपाई की चुनौती
गौ संरक्षण, राम वन गमन पथ जैसे बीजेपी के परंपरागत मुद्दों को कांग्रेस ने छीन कर इन पर अमलीजामा पहनाना शुरू किया था. प्रदेश की सत्ता में वापस आने के बाद शिवराज सरकार ऐसे तमाम मुद्दों पर गंभीरता से काम कर रही है. कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में हर साल 1 हजार गौशाला बनाने की घोषणा करते हुए इस पर काम भी शुरू किया था. शिवराज सरकार ने अब इस मुद्दे पर कैबिनेट का गठन किया है और गौशालाओं के संवर्धन और संरक्षण के लिए कदम बढ़ाए हैं. इसी तरह राम वन गमन पथ, नर्मदा परिक्रमा जैसे प्रोजेक्ट पर भी सरकार गंभीरता से आगे बढ़ने की तैयारी कर रही है.
रोजगार के अवसर बढ़ाने की चुनौती
रोजगार के मुद्दे को लेकर भी सरकार के सामने चुनौती बड़ी है. यही वजह है कि सरकार सरकारी नौकरियों में रुकी भर्तियां को फिर शुरू करने की तैयारी में जुटी है. साथ ही प्रदेश में कैसे ज्यादा से ज्यादा लघु उद्योग स्थापित किए जाए. यह सरकार कोशिश कर रही है, ताकि प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां बड़े और रोजगार के अवसर भी पैदा हो. उपचुनाव के रिजल्ट आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने योजनाओं कि बेहतर मॉनिटरिंग और इनके बेहतर क्रियान्वयन के सख्त निर्देश दिए हैं. मंत्रियों को भी बेहतर परफार्मेंस के साथ काम करने के लिए कहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ संकेत दिया है कि किसी भी मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया के मुताबिक शिवराज सिंह सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश को आर्थिक पटरी पर फिर से लाना है. हालांकि अगली तिमाही से सरकार की स्थिति कुछ बेहतर होती दिखाई देगी लेकिन सरकार के सामने अपने किए हुए तमाम वादों को पूरा करना एक बड़ी चुनौती है. वैसे देखा जाए तो पिछले 3 कार्य कालों की अपेक्षा सरकार बदली हुई दिखाई दे रही है. सरकार योजनाओं की बेहतर मॉनिटरिंग और इस में लापरवाही करने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आ रही है. उधर वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान के सामने पार्टी के भीतर से ज्यादा चुनौतियां हैं. 15 महीने की कमलनाथ सरकार ने शिवराज सिंह चौहान के सामने चुनौतियों को और बढ़ा दिया है. सरकार की माली हालत बहुत कमजोर है, सरकार का जितना बजट है उतना सरकार कर्जा ले चुकी है. आर्थिक स्थिति को बेहतर करना सरकार के लिए एक बड़ा चैलेंज है. मौजूदा हालात में सरकार के सामने सिर्फ बातें करने और भाषण देने के अलावा और कोई उपाय नहीं है.