भिंड।किसी भी समाज को सभ्य तभी कहा जा सकता है जब सभ्यता को महत्व दिया जाए. समाज को आगे ले जाने और उसे बेहतर बनाने में लोगों की भागीदारी हो. इसके लिए शिक्षा सबसे अहम होती है और शिक्षा पर सबका अधिकार होता है, लेकिन हमारे देश में आज भी शिक्षा हर जगह नहीं पहुंच पाई है. करोड़ों ऐसे गरीब परिवार हैं जिनके बच्चे माली हालत या अन्य वजहों से पढ़ाई से वंचित हैं. यही हाल भिंड के पास रहने वाले झुग्गी बस्ती के लोगों के भी है. यहां रहने वाले बच्चे पारिवारिक कारणों के चलते स्कूल नहीं जा पाते हैं. ऐसे बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए भिंड में संचालित एक समाज सेवी मानवता समूह ने बीड़ा उठाया है. समूह द्वारा हर रविवार को मानवता की पाठशाला में बच्चों को पढ़ाया जाता है.
बिल्डिंग नहींचबूतरे पर लगती है क्लास
रविवार का दिन भिंड बस स्टैंड स्थित झुग्गी बस्ती में रहने वाले बच्चों के लिए खुशी लेकर आता है. इन नन्हे मुन्नों के चेहरों पर अलग की खुशी देखने को मिलती है. शिक्षक कोई प्रोफेशनल नहीं हैं, यहां कोई अकॉउंटेन्ट है तो कोई शिक्षक, कोई हाउस वाइफ है, तो कोई छात्र. ये लोग उन गरीब बच्चों के हाथों में कलम थमा रहे हैं जो कभी भीख मांगते थे, कबाड़ बीनते थे. सभी अपनी दिनचर्या से समय निकाल कर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. पाठशाला चलाने के लिए इनके पास कोई बिल्डिंग नहीं है, बस्ती के ही एक चबूतरे पर बच्चों की क्लास लगती है. यहां सिर्फ ABCD ही नहीं बल्कि बच्चों को साफ सफाई का पाठ भी पढ़ाया जाता है.
कोई शिक्षक तो कोई गृहणी, व्यस्तता के बावजूद निकालते हैं समय
रानी जैन गृहणी हैं लेकिन वक्त निकालकर बच्चों को पढ़ाने आती हैं, वह कहती हैं कि शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है. हमारे और दूसरे लोगों के बच्चे तो अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं, लेकिन इन बच्चों के माता-पिता आर्थिक स्थितियों के चलते स्कूल नहीं भेज पाते हैं. ऐसे में हम कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं कि बच्चों को यहां आकर शिक्षित कर सकें. गणित पढ़ाने वाले राजेश चौधरी वैसे तो खुद शासकीय कर्मचारी हैं, लेकिन इन बच्चों को पढ़ाने के लिए वे इतना समय निकाल लेते हैं कि उन्हें सभ्य बनाने में अपना योगदान दे सकें. राजेश की तरह ही उनकी पत्नी माधवी चौधरी भी शासकीय कर्मचारी हैं वे खुद शिक्षा विभाग में एकाउंटेंट हैं, लेकिन रविवार के दिन दो से तीन घंटे का समय निकालती हैं. वह कहती है कि हमने इस बस्ती के बच्चों को पढ़ाने के लिए बैच बनाये हैं उम्र के हिसाब से पढ़ाया जा रहा है.