भिंड। पीएचई विभाग की CM हेल्प लाइन के निराकरण में शिकायतकर्ता के सीने हेंडपम्प गाड़ने वाले जवाब का किस्सा तो याद हो होगा. वो हेंडपम्प गाड़ने वाले कार्यपालन यंत्री बीआर गोयल एक बार फिर सुर्खियों में हैं. गोयल पर 50 लाख के घोटाले का आरोप है, जिसकी जांच के लिए संभागीय दल शुक्रवार को भिंड पहुंचा, लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति नजर आयी. साथ ही जांच में शामिल सदस्यों पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं.
50 लाख के घोटाले का आरोप
जानकारी के मुताबिक, जिले में लोक स्वास्थ्य यंत्रिकी (पीएचई) विभाग के कार्यालय यंत्री पर आरोप है कि, उन्होंने विभागीय प्रचार-प्रसार के लिए अपने चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया है. आरोप है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में जिले में सपोर्ट ऐक्टिविटीज के नाम पर विभागीय प्रचार प्रसार के लिए इंदौर जिले की एक फर्म को गोयल ने करीब 200 वर्क ऑर्डर जारी कर 50 लाख रुपए का भुगतान कराया है, जबकि उन्हें सिर्फ महीने में 25000 हजार रुपए के 2 वर्कऑर्डर पास करने का अधिकार है. साथ ही उन पर जल जीवन मिशन के अंतर्गत फर्जी भुगतान कराने का भी आरोप है.
शाम 5 बजे पहुंची टीम में सिर्फ एक सदस्य
बता दें कि गोयल पर लगे आरोपों के खिलाफ मुख्य अभियंता चम्बल संभाग द्वारा एक जांच दल का गठन किया गया है. संभागीय टीम शुक्रवार शाम करीब 5 बजे पीएचई कार्यालय पहुंची, जांच दल के सदस्य और एई एसपी पांडेय ने बताया की उन्हें अधीक्षण यंत्री द्वारा निर्देशित किया था कि बिंदुवार सभी तथ्यों की जांच करनी है, जिसके लिए वे यहां पहुचे हैं. हालांकि आरोपी अधिकारी बीआर गोयल से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन वे गोलमोल जवाब देते नजर आए.
सवालों के घेरे में जाँच
दरअसल, बीआर गोयल के खिलाफ बैठी जांच शुरुआत से पहले ही सवालों के घेरे में आ गई है, क्योंकि मीडिया को दोपहर करीब 12 बजे टीम के पहुंचने की सूचना लगी थी. लेकिन पीएचई कार्यालय पर पहुंचने के बाद भी जांच दल मौके पर नहीं पहुंचा. यहां शाम 4.30 बजे तक मीडियाकर्मियों ने उनका इंतजार किया.मीडिया के जाते ही करीब 5 बजे जांच दल के सदस्य पीएस पांडेय पीएचई कार्यालय पहुंच गए. वह भी तब जब सरकारी दफ्तर का समय सुबह 10 बजे से 5 बजे तक का होता है.