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दांव पर लगी नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह की साख, जानिए - लहार सीट के क्या हैं सियासी समीकरण

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू हो गई. सबकी निगाहें प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों पर भी टिकी हैं. लहार विधानसभा सीट से लगातार 7 बार से विधायक हैं विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह. इस सीट पर बीजेपी क़ब्जा करने का सपना देख रही है. आइए जानते हैं लहार सीट के क्या हैं सियासी समीकरण.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 17, 2023, 8:39 AM IST

Leader of Opposition Govind Singh credibility at stake
दांव पर लगी नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह की साख

भिंड।मध्यप्रदेश में मतदान के साथ ही आज उन तमाम उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में क़ैद हो जाएगी जो चुनाव में अपनी तक़दीर आज़माने निकले हैं. इस विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, पूर्व सीएम कमलनाथ और केंद्र से चुनाव में उतरे मंत्री-सांसदों के साथ इस बार नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविंद सिंह की साख भी दांव पर लगी है. बीजेपी ने भी 33 साल से डॉक्टर साहब की रियासत को छीनने के लिए बिसात बिछाई. प्रत्याशी से लेकर नेतृत्व तक पार्टी के दिग्गजों का यहां जमावड़ा लगा रहा. लेकिन नेता प्रतिपक्ष बिना स्टार प्रचारक अपना चुनाव लड़ रहे हैं.

बीजेपी ने उतारा युवा चेहरा :एक और जहां कांग्रेस ने हर बार की तरह ही इस बार भी लहार विधानसभा सीट से डॉ.गोविंद सिंह को प्रत्याशी बनाया है. जो 1990 में पहली बार विधायक चुने गए थे और इसके बाद हर बार विधायक डॉ. गोविंद सिंह ही चुने गये. ऐसे में गोविंद का क़िला ढहाने के लिए बीजेपी ने इस बार युवा चेहरा अम्बरीश शर्मा पर भरोसा जताते हुए अपना प्रत्याशी बनाया है. अम्बरीश शर्मा ने डॉ. गोविंद सिंह के ख़िलाफ़ 2018 में बसपा से हुंकार भरी थी. उन्हें 31361 वोट हासिल हुए थे. ऐसे में उनके जनसमर्थन को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारा.

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विपक्ष के नेता की बागडोर :वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप शर्मा कहते हैं कि गोविंद सिंह उन नेताओं में शामिल हैं, जिनकी अपनी लोकप्रियता है. क्षेत्र की जनता में उनका विश्वास दिखायी देता है लेकिन कहीं-कहीं जातीय फ़ैक्टर के चलते वोटरों का एक वर्ग उनसे ख़फ़ा रहता है. बावजूद इसके गोविंद सिंह चुनाव के परिणाम अपने हक़ में लाने की कला जानते हैं. इस बार चुनाव त्रिकोणीय होने के चलते नेता प्रतिपक्ष की सांस भी हलक में है, क्योंकि बीजेपी छोड़कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व विधायक रसाल सिंह का भी अपना ख़ासा वोट बैंक है. जो सीधेतौर पर अब बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही नुक़सान पहुंचायेगा लेकिन डॉ. गोविंद सिंह को ज़्यादा नुक़सान होगा क्योंकि रसाल सिंह क्षेत्र में काफ़ी पॉपुलर हैं. बीजेपी के अम्बरीश शर्मा ब्राह्मण प्रत्याशी होने से समाज का लगभग 95 प्रतिशत वोट मिलने के आसार हैं.

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