भिंड।मध्यप्रदेश सरकार बच्चों को कोरोना की (Bhind corona reality check) तीसरी लहर से बचाने के लिए गंभीर होने के दावे लगातार कर रही है. राज्य के सभी जिला अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग को कोविड से जुड़ी सुविधाएं मुकम्मल रखने के निर्देश दिए गए थे. ऐसे में भिंड में स्वास्थ्य विभाग ने क्या तैयारियां की हैं, और क्या व्यवस्थाएं पर्याप्त होंगी, ऐसे ही अहम बिंदुओं पर ETV भारत ने अस्पताल का रियलिटी चेक किया. मध्यप्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है. बड़े शहर इंदौर भोपाल जहां हॉटस्पॉट बनते दिख रहे हैं. वहीं छोटे शहरों में भी कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है. बात की जाए भिंड की तो यहां भी बीते 4 दिन में 7 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं. पॉजिटिव मरीजों में एक 12 साल का बच्चा भी शामिल है.
भिंड जिला अस्पताल का रियलिटी चेक जिले में 10 बेड का PICU
मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर ने बच्चों को चपेट में लिया था. इस बार ऐसा न हो इसके लिए सरकार ने जिलों के स्वास्थ्य विभाग को विशेष इंतेजाम करने के निर्देश दिए थे. सरकार के आदेश के बाद भिंड ज़िले में भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला अस्पताल में 10 बेड का पीडियाट्रिक ICU बनाया गया है. इस PICU में ट्रीटमेंट के लिए अत्याधुनिक मशीने उपलब्ध हैं. नवजातों से लेकर 13-14 साल तक के बच्चों का इलाज किया जा सकेगा.
55 हज़ार बच्चों का हुआ टीकाकरण
15 से 18 साल तक के बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए सरकार ने पहले ही वैक्सीन लगाए जाने की अनुमति देकर निशुल्क टीकाकरण शुरू कर दिया है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अजीत मिश्रा ने कहा है कि ज़िले में अब तक 55 हज़ार बच्चों को वैक्सीनेट किया जा चुका है. केवल 5 हजार लोगों का टीकाकरण अभी बाकी है. स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों के टीकाकरण के लिए शुरुआती हफ्ते में 60 हज़ार का टार्गेट रखा था.
ऑक्सीजन की नही है कमी
मध्यप्रदेश के कई जिलों में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते कई लोगों की मौत हो गई थी. ऑक्सीजन के लिए मारामारी देखने को मिल रही थी. लेकिन भिंड ज़िले में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं देखी गयी और तीसरी लहर में ऐसी स्थिति न आए इसके लिए भी इंतजाम कर लिए गए हैं. अकेले ज़िला अस्पताल में ही 3 ऑक्सीजन प्लांट बनाये गए हैं. जिनमे एक 1000LPM, दूसरा 850LPM और तीसरा 250LPM ऑक्सीजन हवा से जनरेट करेगा. 250 LPM का ऑक्सीजन प्लांट PICU और बच्चा वार्ड के लिए डेडिकेटेड कर दिया गया है. जिला अस्पताल में लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट भी बनाया जा रहा है ताकि सांस लेने युक्त ऑक्सीजन मिल सके. यह प्लांट इमरजेंसी में बहुत मददगार साबित होने वाला है.
कई खामियां भी दिखीं
जिले में स्वास्थ्य विभाग ने व्यवस्थाएं तो अच्छी की लेकिन ईटीवी भारत ने जब जमीनी पड़ताल की तो कई खामियां भी नजर आईं. शहर में 7 एक्टिव मरीज हैं लेकिन किसी को भी अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया है. सभी घरों में ही आइसोलेट होकर इलाज ले रहे हैं. CMHO डॉ. मिश्रा का कहना है कि सभी मरीज असिम्प्टोमैटिक थे जिसके चलते उन्हें घरों में ही आइसोलेट कर दिया है. रोजाना टेली कॉलिंग के ज़रिए उनकी मॉनिटरिंग की जाती है. कोरोना संक्रमण की बीमारी है, यदि एक मरीज भी गलती से घर से बाहर निकला या किसी के संपर्क में आया तो महामारी अधिक फैल सकती है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग शायद यह बात समझने को तैयार नहीं है. कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए भी कम ही लोग दिखाई दे रहे हैं. मास्क और सोशल डिस्टेंस केवल बाजारों में नहीं बल्कि जिला अस्पताल में भी करते हुए दिखाई नहीं देते.
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इलाज के लिए अलग से बजट नहीं
जिले में इलाज कराने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की है. लेकिन 20 लाख की जनता और बच्चों के इलाज के लिए अलग से कोई बजट नहीं है. इसके लिए विभाग को काफी सामान और बजट की व्यवस्था करनी होगी. डॉ अजीत मिश्रा से जब इसको लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि जिला स्वास्थ्य विभाग के पास कोरोना से निपटने के लिए अलग से कोई बजट नही है. कोविड ट्रीटमेंट में लगने वाली दवाएं, PPE किट, मास्क और अन्य सामग्री ग्वालियर जीआरएम ऑफिस द्वारा ही डिमांड पर उपलब्ध कराई जाती है. अलग से बजट की जरूरत आवश्यकता नहीं रही है.